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निर्धम
१०२०
नियोगक्षेम निभ्रम-वि० (सं०) शङ्का, संदेह या | निर्मान-वि० (हि. निः+मान ) अपार, भ्रम से रहित, निभ्रांत ।
असीम, बेहद । संज्ञा, पु. (सं० निर्माण ) निर्धामक-निभ्रमात्मक-क्रि० वि० (सं०) बनाव, सृजन, रचना।
बेधड़क, बे खटके, निर्भय, भ्रम-रहित । निर्मायल*-संज्ञा, पु० दे० (सं० निर्माल्य) निभ्रांत-वि० (सं०) संदेह, शङ्का या भ्रम |
किसी देवता पर चढ़ी हुई वस्तु । से रहित, जिसमें कोई संदेह न हो। निर्माल्य-संज्ञा, पु. (सं०) देवता पर चढ़ी निर्मना -स. क्रि० दे० (सं० निर्माण ) हुई वस्तु । निरमना, बनना।
निर्मित- वि० (सं० ) निरमित (दे०)। निर्मम-वि० (सं०) मोह या ममता से रचित, सृजित, बनाया हुश्रा। " ब्रह्मांड रहित, निर्मोही, जिसे कोई इच्छा यावासना निकाया, निर्मित माया"- रामा० । न हो, त्यागी।
निर्मूल- वि० (सं०) बे जड़, बे बुनियाद, निर्मर्याद-वि. (सं०) अनादर-कारिणी, नाश, नष्ट । वि० निमूलित।
मान्यता-हीन, अपमानकारी। | निर्मूलन-संज्ञा, पु० (सं०) निर्मूल होना या निर्मल-- वि० (सं०) स्वच्छ, निर्दोष, शुद्ध, करना, बिनाश, नष्ट । वि. निमूलीय । पवित्र, निष्कलंक, निरमल (दे०)। निर्माक-संज्ञा, पु० (सं०) सर्प की केंचुली, “सरिता-सर निर्मल जल सोहा"-रामा। देह की त्वचा, आकाश । संज्ञा, स्त्री० निर्मलता।
निलि*-वि० (सं० निः--हि. मोल ) निर्मलता-संज्ञा, स्त्री. ( सं०) स्वच्छता, अनमोल, अमूल्य, अधिक बदिया। शुद्धता, निष्कलंक।
निर्माह-वि० (सं० ) मोह-ममता-रहित, निर्मला- संज्ञा, पु. (सं० निर्मल ) नानक | कठोर, निर्दय, कड़ा, निरमोह (दे०)।
पंथी, एक प्रकार के साधु । वि० खो० शुद्धा। निर्मोहिनी-वि० स्त्री० (हि० निहि -- निर्मली-संज्ञा, स्त्री. (सं. निर्मल ) रीठा इनी - प्रत्य० ) ममता मोह-रहित, निर्दय ।
का पेड़ या फल जिससे पानी साफ हो निर्मोही-- वि० (सं० निर्माह ) मोह-ममताजाता है । वि० (सं० यो०) निर्मलीकृत रहित, निर्दय, कठोर, निठुर, निरमोही (दे०)। निर्मलीभत, स्वच्छ किया हुआ। निर्यात-संज्ञा, पु. ( सं०) रफ्तनी माल, निर्मलोपल-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) स्फटिक, । विदेश भेजा गया माल । संगमरमर।
निर्यातन-संज्ञा, पु. (सं०) प्रतिहिंसा, बैरनिर्माण- संज्ञा, पु० (सं०) रचना, बनावट, शोधन, बदला चुकाना, प्रतीकार, माल
सृष्टि-करण, गठन, निरमान (दे०)। विदेश भेजना। 'निर्माण-दक्षस्य-समीहतेषु नैष । निर्यास-संज्ञा, पु. (सं०) पेड़ों का गोंद निर्माता-संज्ञा, पु. (सं०) सृजने या बनाने या रस, सत, सार । वाला, रचयिता । "जग निर्माता जाहि रचि, निर्यक्ति-संज्ञा, स्त्री. (सं०) युक्ति-रहित, कला कृतारथ कीन"--मन्ना।
अनुपयुक्त, अनुचित । वि० (सं०) नियुक्त । निर्मात्रिक-वि० (सं०) मात्रा-रहित, बिना निर्यक्तिक - वि० ( सं० ) युक्ति-रहित, मनमात्रा के, अमात्रिक।
गढ़त, अनुचित, अनुपयुक्त । निर्माना*-स० क्रि० दे० (सं० निर्माण) निर्योगक्षेम-वि० यौ० (सं० ) निश्चित, निरमाना (दे०), रचना, सृजना, बनाना।। चिंता-शून्य, बे खटके ।
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