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निक्ती
१००२
निखोट-निखोटि निक्ती- संज्ञा, स्त्री० (दे०) लोहे के पलरों का निखरवाना-स० कि० दे० (हि. निखरना छोटा तराजू , काँटा ।
का प्रे० रूप ) धुलवाना, स्वच्छ या साफ़ निक्वण-संज्ञा, पु० (सं० ) वीणा बाजा कराना, निखराना। संज्ञा, स्त्री० (दे०)।
का शब्द, सितार या तार का शब्द। निखराई, निखरवाई। निक्षिप्त-वि० (सं.) त्यक्त, अर्पित, न्यस्त, निखरी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. निखरना) स्थापित, धरोहर, बंधक रखा हुआ, छोड़ा पक्की रसोई पूरी आदि। विलो. सखरी । या फेंका हुभा।
सा० भ० स्त्री० (दे०) स्वच्छ हुई, शुद्ध । निक्षेप-संज्ञा, पु. ( सं० ) त्याग, समर्पण, वि. स्त्री० (दे०) स्वच्छ, धुली। समर्पित, धरोहर, अमानत, थाती, फेकने | निखर्ब-संज्ञा,पु० (सं०) दश खर्व की संख्या। या डालने की क्रिया का भाव,चलाने, छोड़ने निखवख-वि० (सं० न्यच = सारा, सघ) या पोछने की क्रिया का भाव । “सुपात्र- निश्शेष, सम्पूर्ण, सब का सब, सारा।। निक्षेप निराकुलात्मना"-माघ ।
निखात--संज्ञा, पु० (सं० ) परिखा, खाँई, निक्षेपक, निक्षेपकारी-वि० (सं०) स्थापक,
गढ़ा, खत्ती। स्थापन कर्ता, त्याग करने वाला, समर्पण
निखाद - संज्ञा, पु० दे० (सं० निषाद) केवट, कर्ता, धरोहर या थाती या गिरों रखने
मल्लाह, सात स्वरों में से एक स्वर । "कहत वाला, चलाने, फेंकने डालने, छोड़ने या
निखाद सुनौ रघुराई "--गीता० । पोछने वाला। निक्षेपण-संज्ञा, पु० (सं०) छोड़ना, त्यागना, |
निखार-संज्ञा, पु० दे० (हि. निखरना )
स्वच्छता, सफाई, निर्मलता, शृंगार । फेंकना, चलाना, डालना, समर्पण । वि० |
| निखारना-- स० कि० दे० (हि. निखरना) निक्षिप्त, निक्षेप्य । वि. निक्षेपणीय । निखंग---- संज्ञा, पु० दे० (सं० निषंग)।
परिमार्जित करना, स्वच्छ या साफ़ करना तरकश, तूणीर, भाया। “काट निखंग, कर
पवित्र या निर्मल करना । धनु-सर सोहा ''-रामा० ।
निखालिसा-वि० दे० ( हि० नि+ निखंड--वि. यौ (सं० निस् + खंड ) मध्य,
खालिस अ०) मेल-रहित, बिलकुल स्वच्छ, बीच, माझों माँझ, बीचों बीच, ठीक ठीक, विशुद्ध । सटीक ।
निखिल-वि० (सं०) सब का सब, संपूर्ण, निखट्टर-वि० (दे०) निर्दय, निर्दयी, कठोर- समग्र । " नीर-धीरे गृहीत्वा निखिल खग. हृदयी।
पती-भो० प्र० । निखट्ट-वि० दे० (हि० उप० नि=नहीं+ | निखुटना निखूटना--अ० क्रि० (दे०) घट खटना = कमाना ) कुछ कमाई न करने | जाना, समाप्त होना । "बाती सूखी तेल वाला, सुस्त, आलसी, निकम्मा, इधर-उधर | निखटा"--- कबी०। व्यर्थ घूमने वाला। संज्ञा, पु. (हि.) निखेध-संज्ञा, पु० दे० (सं० निषेध) रोक, निखट्टपन। .
मनाही, इन्कार । " विधि निखेधमय कलिनिखनन-संज्ञा, पु० (सं०) खोदना, खनना, मल-इरनी"- रामा० । वि० (दे०) निखिद्ध
गोड़ना । स० क्रि० (दे०) निखनना। निषिद्ध (सं०)। निखरना-अ० क्रि० दे० (सं० नितरण ) निधना*-स. क्रि० दे० (सं० निषेध ) छुटना, साफ, स्वच्छ, या निर्मल होना, रंगत रोकना, मना करना। का खुलता होना।
निखाट-निखोटि-वि० दे० ( हि० उप० नि
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