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नासत्य १६८
निंदन नासत्य-संज्ञा, पु. (सं०) अश्विनी कुमार। नास्तिकवाद-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) परमे. नासमझ---वि० यौ० (हि. ) मंद या अल्प- __ श्वर, परलोक और वेद-प्रमाण न मानने का
बुद्धि या निर्बुद्धि । संज्ञा, नासमझी। । सिद्धान्त । वि० नास्तिकवादी। नासा - संज्ञा, स्त्री. (सं०) नाक, नासिका, नास्य-वि० (सं०) नासासंबंधी, नाक का । नथुना । " असुभ रूप श्रुत नासाहीना" | संज्ञा, पु. ( सं०) नाक में पैदा होने वाला, -नामा० । वि० नस्य।
बैल की नाक में लगाने की रस्सी, नाथ । नासापाक-संज्ञा. पु० यौ० (सं०) नाक का | नाह* --संज्ञा, पु० दे० ( सं० नाथ ) स्वामी, एक रोग।
पति, प्रभु, अधिपति, मालिक । "कह मुनि नासापुट-संज्ञा. पु. यौ० (सं० ) नथुना। सुनु नर-नाह प्रवीना"-रामा०। नासाभेदन -- संज्ञा, पु. यौ० ( सं० ) नक- नाहक-क्रि० वि० ( फा० ना+अ. हक ) छिकनी घास, नाक छेदने वाला, नाक छेदना। व्यर्थ, वृथा, निष्पप्रयोजन । नासा वामावर्त ---संज्ञा, पु. यौ० (सं०) | नाह-नूह-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. नाही) नथबेसर, नथुनी, नथ ।
नहीं, नाही, अस्वीकार, इनकार, नाहींनहीं। नासामल-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) नाक का नाहर-संज्ञा, पु० दे० ( सं० नाहरि ) व्याघ्र, मैल।
बाघ, सिंह, शेर । संज्ञा, पु० (दे०) टेसू का नासायानि-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) नपुंसक।। फूल । " नाह गरजि नाहर-गरज, बोल नासिक-संज्ञा, पु. (सं० नासिक्य ) महा. सुनायो टेरि"-वि०।। राष्ट्र देश में एक तीर्थ है।
नाहरू-संज्ञा, पु० (दे०) नहरुवा रोग, नाहर, नासिका--- संज्ञा, स्त्री० ( सं०) नाक, नासा, | सिंह, बाघ, बाज ( काश्मीर ) चमड़े का
"मुख नासिका श्रवण की बाटा''-रामा०। टुकड़ा, मोंट खींचने का रस्सा । 'मारसि नासी -वि० दे० (सं० नाशिन ) नासक गाय नाहरू लागी"--रामा० । बाज नाहरू (दे०) नाशक, नाश करने वाला । स्त्री. कहत है, काशमीर शुभदेश । दोहा । नासिनी।
नाहल-संज्ञा, पु० (दे०) म्लेच्छों की एक नासीर-संज्ञा, पु० (सं०) अग्रसर, अग्र- जाति । गामी, सेनापति के आगे चलने वाली नाहि नाहि-प्रव्य (दे०) नाही, नहीं, सेना। संज्ञा, स्त्री० (दे०) नस ।
नाहिन । नासूर-संज्ञा, पु० (अ०) नस का पुराना नाहिनैछ-प्रव्य० दे० (हि. नाही) नहीं है । घाव, नाडी-व्रण (सं०)।
नाहीं-अव्य० दे० (हि. नहीं) नहीं। नास्ति-अ० क्रि० यौ० (सं०) नहीं है, अविद्य- नाहुषि-संज्ञा, पु. (सं०) राजा नहुष का मानता, अभाव। “सत्ये नास्ति भयं क्वचित" | पुत्र, ययाति । - स्फु० ।
नित-नितं-कि० वि० दे० ( सं० नित्य ) नास्तिक--संज्ञा, पु० (सं०) वेदों का प्रमाण, | नित्त, नित्य, सदा, सर्वदा।। परमेश्वर तथा परलोक को न मानने वाला, निंद*-वि० दे० (सं० निंद्य ) निन्दनीय, अनीश्वरवादी, वेद-निन्दक, शरीर-धात्मवादी, निन्दा-योग्य । “नहि अनेक सुत निंद" पाखंडी, बौद्ध । नास्तिकता-संज्ञा, स्त्री० (सं०) नास्तिक्य। निंदक-संज्ञा, पु० (सं०) निंदा करने वाला। परमेश्वर, परलोक और वेद को न मानने का | निंदन-संज्ञा, पु. ( सं० ) निद्य, निंदा करने ज्ञान ।
| का कार्य । वि० निंदनीय, निंदित ।
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