________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
ब्राह्मी की उत्पत्ति
२१ आवश्यक है, अन्यथा हम संतोषजनक परिणाम पर नहीं पहुंच सकते । ये सूत्र हैं :___1. जिन अक्षरों की उत्पत्ति ढूढ़नी हैं उनके प्राचीनतम और पूर्णतम रूपों का प्रयोग करना चाहिए और जिन मूल अक्षरों से उनकी उत्पत्ति बतलाई जाती है, वे भी उसी काल के प्रचलित रूपों में से होने चाहिए। ___ 2. तुलना में केवल वे ही विषम समीकरण (irregular equations) शामिल हो सकते हैं जिन्हें ऐसे दूसरे उदाहरणों के सादृश्य से सिद्ध किया जा सके जहां किसी राष्ट्र ने दूसरों से लिपि उधार ली हो।
3. जहां संजात रूप कल्पित मूलरूप से काफी भिन्न दीखते हैं वहां यह दिखाना जरूरी है कि इसके निश्चित सिद्धांत हैं, जिनके आधार पर ये परिवर्तन हुए हैं।
ब्राह्मी की उत्पत्ति सेमेटिक चिह्नों से दिखलाने में यदि इन सिद्धान्तों को ध्यान में रखें, तो न तो सैबियन लिपि न इसका किंचित् पुराना भेद, लिह्यानियन या थैम्यूडियन' ही हमारे किसी काम आयेगा, यद्यपि इनकी अक्षर-प्रणाली में सामान्य समता है और दो या तीन अक्षरों में विशेष रूपसाम्य भी है । डीके और टेलर ने जिस व्युत्पत्ति का प्रतिपादन किया है, उसमें से यदि हम उनके सभी असंभव समीकरणों को निकाल दें और तुलना के लिए प्राचीनतम भारतीय अक्षरों को ही चुनें, तो भी उनके सिद्धांत में व्युत्पत्ति के लिए आवश्यक शर्तों का पालन नहीं है। फिर हमें यह मानना पड़ेगा कि अनेक सैबियन अक्षर, जैसे अलेफ, गिमल, जैन, तेथ, फे, कॉफ, रेश, जिनके उत्तरी सेमिटक रूपों में काफी अन्तर हो चुका था, जब अ, ग, ज, थ, प, ख और र के रूप में हिन्दुओं द्वारा अपनाये गये तो उनको उनके मूल रूपों के समान बना दिया गया। दूसरे अक्षरों के सम्बन्ध में सैबियन और भारतीय चिह्नों के बीच कोई सम्बन्ध दिखलाना असंभव है। यदि हम सीधे उत्तरी सेमेटिक लिपि से ब्राह्मी की उत्पत्ति दिखला दें तो ये कठिनाइयां सामने न आयेंगी। फोनेशिया से मेसोपोटामिया तक उतरी सेमेटिक का एक ही रूप दीखता है। वेबर के अनेक समीकरण स्वीकार्य न थे, किन्तु अभी हाल ही में सेमेटिक अक्षरों के कुछ ऐसे रूप भी सामने आये हैं जिनसे ये समीकरण स्वीकार्य हो जाते हैं। और, अब उन सिद्धान्तों को पहचानना
79. डी. एच. मूलर, डेंकमालेर औस अराबियन, (DWA. Phil Hist, Cl. 37 में; पृ. 15 तथा आगे
21
For Private and Personal Use Only