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भारतीय पुरालिपि-शास्त्र या नेपाली हस्तलिखित ग्रंथों में आ (XX, XXIII, बे., भ. ) या नेपाली और बंगला हस्तलिखित ग्रंथों में लू (XXVI, भ., बे.)।
303=नागरी हस्तलिखित ग्रंथों में सा (XXIV, XXV; भ., की. ने स्ता पढ़ा है) या नेपाली हस्तलिखित ग्रंथों में आ (XX) ।
400=नागरी हस्तलिखित ग्रंथों में सूो (XXV; की. ने स्तो पढ़ा) ।
अभिलेखों में चिह्नों के उच्चारणगत मूल्य बहुधा हस्तलिखित ग्रंथों से भिन्न होते हैं। यह भिन्नता भी पर्याप्त होती है । लगभग प्रत्येक खड़े और आड़े स्तम्भ में (फल. IX, A, I-XVIII) 380 कम-से-कम एक--कभी___389. फलक IX. A स्त. I-XVIII, निम्नलिखित ढंग से तैयार किये गये हैं : स्तं. I : 4 की संख्या कालसी आदेशलेख XIII, ए. ई. II, 465 की
बर्गेस की प्रतिकृति से काटकर, 6, 50, 200 की संख्याएं सहसराम
और रूपनाथ के आदेशलेखों की प्रतिलिपि के अनुसार हाथ से
बनाकर । देखि. इं. ऐ. VI, पृ. 155 तथा आगे। स्तं. II : शिद्दापुर आदेश लेख, ए. ई. III, 138 की प्रतिकृति से काटकर । स्तं. III: नानाघाट अभिलेखों की प्रतिकृतियों से काटकर, ब. आ. रि.
वे. ई. V, फल. 51 स्तं. IV: नासिक अभिलेखों की प्रतिकृतियों से काटकर, ब, आ. स. रि.
वे.इं. IV,फल. ५२ सं० 5, 9, 18, 19; फल. 53, सं0 12-14: 70 गिरनार प्रशस्ति, ब. आ. सा. रि. वे. इ. II फल. 14 के आधार
पर हाथ से बनाई गयी है. । स्तं. V: क्षत्रप सिक्कों की प्रतिकृतियों के आधार पर बनाया गया है,
ज. रा. ए. सो. 1890, फलक पृ. 639 पर । स्तं. VI-VII. ए. इ. I, 381; II, 201 की प्रतिकृतियों से काटकर। . स्तं. VIII; ब., आ. सं.रि. वे. ई. I फल. 62, और ए. ई. I, 2 की
प्रतिकृतियों से काटकर। स्तं. IX. X: फ्ली. गु. इं. (का. इं. इं. III) सं. 2, 3' 5, 7, 9, 11,
19• 23, 26, 59. 63,70, 71 की प्रतिकृतियों से काटकर ।। स्तं. XI. फ्ली. गु. इं. (का.इं. इं. III) सं. 38, 39; इ ऐ. VI, पृ. 9 और अन्य वलभी अभिलेखों की प्रतिकृतियों से अंक काटकर ।
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