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___xii आ. स्वर-मात्राएँ और अनुस्वार इ. संयुक्ताक्षर
III. प्राचीन ब्राह्मी और द्राविड़ी 13. इसके पढ़ने की कहानी 14. प्राचीन अभिलेखों की सामान्य विशेषताएँ 15. फलक II और III की ब्राह्मी और द्राविड़ी के भेद 16. पुरानी मौर्य-लिपि : फलक II
अ. भौगोलिक विस्तार और उसके प्रयोग की अवधि आ. स्थानीय विभेद इ. मात्रिकाएँ ई. स्वर-मात्राएँ और अनुस्वार
उ. संयुक्ताक्षर 17. भट्टिप्रोलु की द्राविड़ी : फलक II 18. फलक II की अंतिम चार लिपियाँ 19. उत्तरी ब्राह्मी की पुरोगामी लिपियाँ
अ. उत्तरी क्षत्रपों की लिपि : फलक III ...
आ. कुषान अभिलेखों की लिपि : फलक III 20. दक्षिणी शैली की पुरोगामी लिपियाँ
अ. मालवा और गुजरात के क्षत्रपों की लिपि : फलक III आ. पश्चिमी डेक्कन और कोंकण की गुफाओं के । . . अभिलेखों की लिपियाँ : फलक III ... ... इ. जग्गयपेट के अभिलेखों की लिपि : फलक III . ... ई: पल्लवों के प्राकृत भूदान-लेखों की लिपि : फलक II ...
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... IV. 350 ई. के आसपास की उत्तरी लिपियाँ . 121. परिभाषा और विभेद 22. चौथी-पांचवीं शती की तथा-कथित गुप्त लिपि : फलक IV ...
अ. उसके विभेद आः अभिलेखों की गुप्त-लिपि की विशेषताएँ ...
इ. हस्तलिखित ग्रंथों में गुप्त-लिपि 23. न्यूनकोणीय और नागरी शैलियाँ : फलक IV, V. VI" ....
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