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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir चिकित्सा-पथ-प्रदर्शिनी [५४३] VIAAAAAAAAARAVIRAJ.ARANORA,RAAAVARANAADynonwir.vunnpvvvvvvyanAmAvww w moraa १९२५ संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण सख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण १५०७ ,, , १९२४ चिन्तामणिरसः सन्निपात,जीर्णज्वर, आमञ्चर विषमज्वर, प्लीहा, १५०९ गन्धककज्जली ज्वर, छर्दि, क्षय, अफारा, खांसी, रक्तातिसार मन्दाग्नि. १५४८ गन्धामृतो रमः । ज्वर सर्वज्वर, तिजारी, १५५३ गरुडरमः समस्तज्वर, प्रबल चौथियाआदि,छर्दि, सन्निपात,कफ, वायु, अतिसार, अजीर्ण १८६५ चक्ररसः तन्द्रा, दाह और ( ज्वरोंमें विशेष तृषा सहित घोर उत्तम है) सन्निपात १९२८ आठ प्रकारके ज्वर १८६८ चक्रिकारसः १३ प्रकारके दुस्सा- १९२९ , नवीन ज्वर, जीर्णध्य सन्निपात ज्वर, सन्निपात, १८७८ चण्डेश्वरो रसः सर्व ज्वरोंमें उत्तम है। विषमज्वर,अतिसार, १८९६ चन्द्रसुधारसः पित्तञ्चर, दाह, शूल, शोथ, अफारा भयङ्करतृष्णा,मूर्छा, १९३० , सर्यज्वर हिक्का, वमन १९३४ अजीर्ण ज्वर (रे१९०४ चन्द्रोदयो रसः जीर्णज्वर, खांसी, चक है ) श्वास, १९३५ चिन्तामणिरसः ज्वर, शूल १९१४ चातुर्थिकगजाङ्कुशः तिजारी, चौथिया १९३६ चिन्तामणिवटिका जीर्णज्वर आदि ज्वर । १९३८ चूडामणिरसः धातुगत विषमज्वर, १९१५ चातुर्थिकनिवारण चातुर्थिक (चौथिया) कामज और शोक१९१६ चातुर्थिकारिरसः , (,) जनितज्वर, कास १९१७ शिरशूल, ग्रहणी। ९९१८ १९४० चूडामणिरसः सर्ववर १९१९ चातुर्थिकादि समस्त १९४२ चैतन्यभैरवोरसः सन्निपात ज्वरकी विषमज्वर मूर्छा । १९२२ चिन्तामणिरसगुटिः आमज्वर, सन्निपात २१०३ जयमङ्गलोरसः । पुराना दुस्साध्यज्वर, १९२३ , ज्वर मज्जागत ज्वर। ,, ,,) For Private And Personal
SR No.020115
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1928
Total Pages597
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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