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चिकित्सा-पथ-प्रदर्शिनी
[५४३]
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१९२५
संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण सख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण १५०७ ,, ,
१९२४ चिन्तामणिरसः सन्निपात,जीर्णज्वर, आमञ्चर
विषमज्वर, प्लीहा, १५०९ गन्धककज्जली ज्वर, छर्दि, क्षय,
अफारा, खांसी, रक्तातिसार
मन्दाग्नि. १५४८ गन्धामृतो रमः । ज्वर
सर्वज्वर, तिजारी, १५५३ गरुडरमः समस्तज्वर, प्रबल
चौथियाआदि,छर्दि, सन्निपात,कफ, वायु,
अतिसार, अजीर्ण १८६५ चक्ररसः तन्द्रा, दाह और
( ज्वरोंमें विशेष तृषा सहित घोर
उत्तम है) सन्निपात १९२८
आठ प्रकारके ज्वर १८६८ चक्रिकारसः १३ प्रकारके दुस्सा- १९२९ , नवीन ज्वर, जीर्णध्य सन्निपात
ज्वर, सन्निपात, १८७८ चण्डेश्वरो रसः सर्व ज्वरोंमें उत्तम है।
विषमज्वर,अतिसार, १८९६ चन्द्रसुधारसः पित्तञ्चर, दाह,
शूल, शोथ, अफारा भयङ्करतृष्णा,मूर्छा, १९३० , सर्यज्वर हिक्का, वमन १९३४
अजीर्ण ज्वर (रे१९०४ चन्द्रोदयो रसः जीर्णज्वर, खांसी,
चक है ) श्वास,
१९३५ चिन्तामणिरसः ज्वर, शूल १९१४ चातुर्थिकगजाङ्कुशः तिजारी, चौथिया १९३६ चिन्तामणिवटिका जीर्णज्वर
आदि ज्वर । १९३८ चूडामणिरसः धातुगत विषमज्वर, १९१५ चातुर्थिकनिवारण चातुर्थिक (चौथिया)
कामज और शोक१९१६ चातुर्थिकारिरसः , (,)
जनितज्वर, कास १९१७
शिरशूल, ग्रहणी। ९९१८
१९४० चूडामणिरसः सर्ववर १९१९
चातुर्थिकादि समस्त १९४२ चैतन्यभैरवोरसः सन्निपात ज्वरकी विषमज्वर
मूर्छा । १९२२ चिन्तामणिरसगुटिः आमज्वर, सन्निपात २१०३ जयमङ्गलोरसः । पुराना दुस्साध्यज्वर, १९२३ , ज्वर
मज्जागत ज्वर।
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