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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir चिकित्सा-पथ-प्रदर्शिनी [५४१] संख्या प्रयोगमाम मुख्य गुण संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण २२८१ त्रिफलादि काथ कफवर, खांसी, गल- २३१५ तिक्ता चूर्णम् कफपित्तज्वर(रेचकहै) रोग २३४१ त्रिकटादि , सन्निपात, वायु २२८४ ,, ,, ज्वर, खांसी २३५३ त्रिफलादि , ज्वर, खांसी, श्वास २२९१ ,, पित्तकफज्वर २३६० , , विरेचन २३०२ त्रिवृतादि , सर्वज्वर (भेदक है) २३६३ त्रिफलाप्रयोगः चातुर्थिकञ्चर २३०४ त्र्यूषणादि , प्रबल सन्निपात । | २६६९ तृवृच्चूर्णम् ज्वर, दाह, भारीपन, चूर्णप्रकरणम् शूल ( भेदी है) १२५३ गुडजीरकयोगः विषमज्वर, अग्निमांद्य १२८७ गोजिह्वादि चूर्णम् शीतज्वर गुटिकाप्रकरणम् १२९६ गोरोचन , सर्वज्वर | १३१३ गुडूचीमोदकः विषमज्वर(रसायन है) १६८९ चणकायुद्धृलनम् अधिक पसीनेको । १३१४ गृहधूमगुटिका जीर्णज्वर रोकता है २०१० जयन्तीवटी योगवाही १७०२ चन्दनादिलौहम् विषमज्वर । २०१४ जयावटी १७०४ चन्द्रकला चूर्णम् ञ्चर, पाण्डु, अति- २०२४ २०२४ जयपालवटी जीर्णज्वर(विरेचक है) २०२६ ज्वरनाशिनीगुटिका ( रेचक ) सार, अरुचि १७२७ चित्राङ्गयादि , विषमज्वर, अग्निमांद २४०४ । २४०४ त्रिफलादि मोदकः वातज्वर, कास, पा२००० जीरकयोगः विषमज्वर, अग्नि शूल, अरुचि। मांद्य, शीत २४१४ त्रिवृतादि , सन्निपात २००३ जीरकादि चूर्णम् शीतज्वररोधक अवलेहप्रकरणम् २३१० तालीसादि , ज्वर, खांसी, श्वास, १७४८ चतुरङ्गावलेहः ज्वर सम्बन्धी खांसी, अतिसार, वमन, प्लीहा, शोथ, अफारा अरुचि, श्वास,मूर्छा आदि १७५३ चतुर्भदावलेहः ज्वर, खांसी, श्वास २३११ , ज्वर, ज्वरके समस्त उपद्रव, अर्श, (बाल घृतप्रकरणम् कोंके लिए विशेष १३६३ गुडूच्यादिघृतम् ज्वर, खांसी, श्वास, हितकारी-पौष्टिक, अजीर्ण स्वरवर्द्धक) । १३६६ , , ज्वर For Private And Personal
SR No.020115
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1928
Total Pages597
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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