SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 531
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir भूमिका एकही रोगके, पृथक् पृथक् रोगियों में प्रायः भिन्न भिन्न लक्षण और उपद्रव पाए जाते हैं, अत एव किसी एक रोगके भी, सभी रोगियोंको एकही औषध नहीं दी जा सकती। रोग एक होने पर भी लक्षणोंकी विभिन्नताके अनुसार प्रत्येक रोगीके लिए विभिन्न औषध-योजना करनी आवश्यक होती है। अतएव रोगनिदानके पश्चात् प्रत्येक चिकित्सकके सम्मुख एक आवश्यक प्रश्न उपस्थित होता है, और वह यह कि-"इस रोगके लिए शास्त्रों में जो बहुसंख्यक प्रयोग विद्यमान् हैं उनमेंसे, इस रोगीको वर्तमान अवस्थाके लिए कौनसा प्रयोग अधिकसे अधिक लाभदायक सिद्ध होगा।” नवीन चिकिस्सकोंकी कौन कहे, यह प्रश्न, अनुभवी वैद्योंके हृदयोंमें भी न्यूनाधिक चिन्ता उत्पन्न किये. बिना नहीं रहता। आयुर्वेदिक ग्रन्थों में प्रयोगांकी गुणावली इतने विस्तारसे लिखी गई है, और उनके छन्दोबद्ध होनेके कारण हो या किसी अन्य कारणसे, वह इतनी अधिक विडिल है कि उसके आधार पर उक्त प्रश्नको हल करना बड़ा ही कठिन प्रतीत होता है । यह रोगानुसारिणी सूची लिखकर मैंने इसी कठिनाईके निराकरण करनेका प्रयत्न किया है। यद्यपि यह सूची अत्यन्त दोषपूर्ण और अपूर्ण है, तथापि मुझे आशा है कि इसके अवलोकनसे दो बातोंके ज्ञात करनेमें बहुत कुछ सहायता मिल सकती है-एक तो यह कि किसी रोगमें किन लक्षणों और उपद्रवोंके उपस्थित होने पर कौन औषध प्रयुक्त करनी चाहिए और दूसरी यह कि किसी प्रयोगके गुणोंमें उसी अधिकारके अन्य प्रयोगोंसे क्या विशेषता है । मुझे विश्वास है कि जो वैद्यविद्यार्थी इसे मननपूर्वक अवलोकन करेंगे उन्हें चिकित्साक्षेत्रमें अवतीर्ण होनेपर यह एक योग्य मार्गदर्शकका काम देगी, और अन्य वैद्य एक उपयोगी हैण्डबुक या याददाश्तकी भांति, इसका उपयोग कर सकेंगे। साथ ही यह “भारत-भैषज्य-रत्नाकर" भी इस सूचीके योगके कारण 'प्रयोग संग्रह' की श्रेणीसे निकलकर चिकित्साग्रन्थ कहलानेका अधिकार प्राप्त कर सकेगा। इस सूचीमें रोगानुक्रमके विषयमें प्राचीन पद्धतिका अनुसरण न करके अकारादि क्रमका अवलम्बन लिया गया है, और इस स्थलके लिए वही अधिक सुविधाजनक प्रतीत होता है। अहमदाबाद वैशाख शु. १३ गोपीनाथ For Private And Personal
SR No.020115
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1928
Total Pages597
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy