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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir गुग्गुलुपकरणम् ] द्वितीयो भागः। [ ३५९] ANMNvMAN AAAAAAAAAVAVIAAIAANA रास्नां शताहा सशटी यमानी* | वातज और कफज रोग, हृद्ग्रह, योनिदोष, सनागरा चेति समैश्च चर्गम् ॥ खञ्जवात और अस्थिभन्नादिरोग नष्ट होते हैं । तुलां भवेत्कौशिकमत्र मध्ये नोट-अनुभवी वैद्य इसमें घृत उतना ही दे तथा सपिरथार्धभागम् । डालते हैं कि जितने से अच्छी तरह कूटा जा सके। अक्षा मात्रन्तु ततःप्रयोगात् ( व्यवहारिक मात्रा ३ माघे तक ) ___ कृत्वानुपानं सुरयाथ यूषैः ॥ (२४२०) त्रिकण्टकादिगुग्गुलु: कटिग्रहे गृध्रसि बाहुाष्ठे ( वृ. नि. र. । मूत्र.) हनुग्रहे जानुनि पादयुग्मे । त्रिकण्टकानां कथितेष्टनिघ्ने सन्धिस्थिते चास्थिगते च वाते पुरं पचेत् पाकविधानयुक्त्या । ___ मज्जाश्रिो स्नायुगते च कुष्ठे ॥ फलत्रिकव्योषपयोधराणां रोगाचयेद्वातककानुविद्धान् चूर्ण पुरेण प्रमितं विदध्यात् ॥ चातेरितान् हृदहयोनिदोषान् । वटी प्रमेहञ्च समूत्रघातं भनास्थि विद्वेषु च खञ्जवाते सवातकृच्छ्रश्च तथाश्मरीश्च । त्रयोदशाङ्गं प्रवदन्ति सन्तः ॥ शुक्रस्य दोषान् सकलांश्च वातान् टि०---गुग्गुलोरर्धभागं घृतं । वृद्ववैधास्तु यावता निहन्ति मेघानिव वायुवेगः ॥ घृतेन गुग्गुलु पिट्टनं भवति तावदेव घृतं १ सेर गोखरुको ८ सेर पानीमें पकाकर गृह्णन्ति । १ सेर शेष रहने पर छानकर उसमें १० तोले कीकरके फल, असगन्ध, हाउबेर, गिलोय, गूगल मिलाकर पकाएं जब वह गाढ़ा हो जाय शतावर, गोखरु, विधारा, रास्ना, सौंफ, कचर, तो उसमें त्रिफला, त्रिकुटा (सोंठ, मिर्च, पीपल), अजवायन और सों का चूर्ण समान भाग और और मोथेका समभाग मिश्रित १० तोले चर्ण सबके बराबर शुद् गूगल तथा गूगलसे आधा मिलाकर कूटकर गोलियां बनाएं। घृत लेकर गूगल और समस्त द्रों के चूर्णको | इनके सेवनसे प्रमेह, मूत्राघात, वातज मूत्रएकत्र मिलाकर थोड़ा थोड़ा घी डालकर कूटें। कृच्छू, अश्मरी और शुक्रदोष नष्ट होते हैं । ___ इसे आधे कर्ष ( ७॥ माशे )की मात्रानुसार ( मात्रा-३ मापे तक । अनुपान त्रिफलामद्य अथवा यूपके साथ सेवन करनेसे कटिग्रह, | गृध्रसि, हनुग्रह बाहु पृष्ठ जानु ( घुटना ) पैर (२४२१)त्रिफलागुग्गुल (भा.प्र.ख.२.वात.र.) सन्धि अस्थि मज़ा और स्नायुगत वायु; कुष्ठ, त्रिफलातिविषादारुदावींमुस्तापरूषकैः ।। २ श्यामेति पाठान्तरम् । * श्यामा शटी घोषवती यमानीति पाठान्तरम् । काथ या उष्ण For Private And Personal
SR No.020115
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1928
Total Pages597
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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