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[१४६]
भारत-भैषज्य-रत्नाकरः।
[चकारादि
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(१७११) चव्यादिचूर्णम् ( वं. से. । रा. य.) इसे धीमें मिलाकर बालकोंको चटानेसे उनके चव्यव्योषविडङ्गानि चूर्ण कृत्वा लिहेन्नरः।। अजीर्ण, श्वास, खांसी, आदि रोग नष्ट होते और सर्पिर्मधुभ्यां मुच्येत क्षयरोगान्न संशयः॥ बल, पुष्टि तथा शरीरकी वृद्धि होती है । चव, सोंठ, मिर्च, पीपल और बायबिडंगके
चातुर्भद्रिका चूर्णको शहद और धोमें मिलाकर सेवन करनेसे (आयु. वि. । अ. ८; भा. प्र. । बा. रो. ) क्षय रोग अवश्य नष्ट हो जाता है।
१६३२ संख्यक, प्रयोग देखिए । ( मात्रा-३-४ माशे)।
(१७१४) चिश्चादिचूर्णम् । (१७१२) चातुर्जातम् ( भै. र. । परिशि.)
| चिश्चापलसमायुक्तं गृहधूमं पलार्धकम् । चातुर्जातं समाख्यातं त्वगेलापत्रकेशरैः
पुराणाज्येन सप्ताह लीद्दा चाखुविष हरेत् ॥ तदेव त्रिसुगंन्धिः स्यात्त्रिजातकमकेशरम् ॥x
१ पल ( ५ तोले ) इमली और आधापल - दालचीनी, इलायची, तेजपात और नाग
घरका धुंवा एकत्र मिलाकर पुराने धोके साथ सात केसरके योगका नाम ' चातुर्जात ' है । और
दिन तक सेवन करनेसे चूहेका विष नष्ट होता है । नागकेसर रहित अन्य तीन ओषधियों के समूहको
(१७१५) चिञ्चाबीजयोगः (वै.म.र.पट.६ ) 'त्रिगन्ध' या · त्रिजात' कहते हैं।
चिञ्चावीजत्वचं सैन्धवं दीप्यकस्तथा। (१७१३) चातुर्जातादिसम्भारकः ( ग. नि. । बाल.)
पिबेदामेन तक्रेण सोऽतिसारं जयेत्क्षणात् ॥ चातुर्जातकतालीसकुष्ठं त्रिकटुकं तथा।
इमलीके बीज ( चियें ) दारचीनी, सोंठ, चविका पिप्पलीमूलं तवक्षीरं च जीरकम् ॥
सेंधानमक, और अजवायनके समान भाग मिश्रित अश्वगन्धा च सम्भारं चूर्णीकृत्य विनिःक्षिपेत् ।
चूर्णको (३-४ माशेकी मात्रानुसार) तक्रके साथ चूर्णाद्विगुणितं खण्डं सर्पिषा लेहयेच्छिशुम् ।।
सेवन करनेसे अतिसार अत्यन्त शीघ्र नष्ट होता है। अजीर्णश्वासकासघ्नं बालानामङ्गवर्धनम् ।। (१७१६) चिञ्चाबीजादिचूर्णम् सर्वरोगहरं श्रेष्ठं बलपुष्टिकरं मतम् ॥
( वृ. नि. र. । मसूरि.) दालचीनी, इलायची, तेजपात, नागकेसर,
ये शीतलेन सलिलेन विपिष्य सम्यक् । तालीसपत्र, कूट, सोंठ, मिर्च, पीपल, चव्य, चिश्चोत्थवीजसहितां रजनीं पिबन्ति ।। पीपलामूल, बंसलोचन, जीरा, और असगन्धका तेषां भवन्ति न कदाचिदपीह देहे। चूर्ण समान भाग तथा समस्त चूर्णसे २ गुनी मिश्री पीडाकरा जगति शीतलिकाविकाराः ॥ लेकर एकत्र कर लीजिए।
___ इमलीके बीज (चियें) और हन्दीके चूर्णको xचातुर्जातमिदं वर्ण्य वह्निकृच्च विषापहम् । ( रा. नि. । व. २२) चातुर्जातक शरीरके रंगको सुधारने वाला, अग्निवर्द्धक और विषनाशक है।
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