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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir पृष्ठ कालम पंक्ति अशुद्ध शुद्ध पृष्ठ कालम पंक्ति अशुद्ध शुद्ध २२४ १ २८ रखकर चूनेके बीचमें रखकर | ३०२ १ २४ १ कालीमिर्च २१ काली मिर्च २३१ २ १३ पकाइये लोहपात्रमें पकाइये । ३०४ १ प्रयोग संख्या २१६८ के अर्थमे औषधों २३२ २ ७ १७३६ १९३६ के नाम छूट गए हैं जो इस प्रकार हैं२३३ १ १२ भेदन मेद स्याह मिर्च, सुहागा, शंखभस्म, पारा, २३४ २ ८ भांगेरकी गन्धक, शुद्ध ब्रह्मपुत्र विष । सब समान जड़के रस भारंगी के क्वाथ २३६ १ ९ त. ८१ ३०६ १ ११ तितली शंखिनी २४१ २ १६ चौलाई जलचौलाई ३०६ २२२ ४ भाग १ भाग २४२ १ ७ गुलसकरी गरहेड्डुवा ३०७ १ ६ १ भाग २ भाग २४५ १ ४ बांसेकीछाल से और बड़की छाल ३१३ १ १० कुटकी चन्दन, कुटकी २४७ १ ९ सुगन्धवाला चन्दन ३२० २ १ मजीठ लालचन्दन २५२ १ ६ मोथा तालीसपत्र, मोथा ३२४ १ ६ सोंठ आमला २५८ २ १ धनिया रसौत, धनिया ३३३ १ १६ चावलोंके साथ चावलोंके मांडके " " , वंसलोचन बंसलोचन और साथ गन्धशटा २६० २ १ १०३८ ३३४ ११६ हरताल २०३८ शिलारस ३३५ १ २६१ १ ५ काकजंधा गिलोय ३ चमेलीकीकली चमेलीकी कोपल ३३५ १ १६ जीवनीय गण काकाली २६५ १ ७ सफेदगुलाब चिरचिटा २७० २ ७ चीता बड़ी इन्द्रायन , १ १८ पटोलपत्र पित्तपापड़ा, पटोल २७० २ ८ शालाचावल कलमीधान , १ १९ फटकी सौराष्ट्री स्वरभ्रंशे २७२ १ ५ २ माम ३५३ १ ४ ज्वरभ्रंशे ६ मास करच २७६ ३६० १ १५ हल्दी २ १५ षष्ठी यष्टी २७६ २ २६ यन्त्रमें ३६२ पुटमें १ ८ सेर ४ २५ पल २८७ १ २० अजमोद गन्धक ३६५ १ २६ १ प्रस्थ ४ प्रस्थ २८० २ १९ नीलोत्पल ३७१ २ २१ शुकनासा २८१ २ १ जीवनीयगण काकोली ३८२ १ १६ सुरमा रसौत २८९ १२५ मालकंगनी . २४९२ २९१ २ १ ३ पहर १ दिन २९१ २ ४ देनेसे देनेसे ३ दिनमें ३८४ १ २५ फटकी सौराष्ट्री २९३ १२० रस रसे ३८६ १ १४ पीपल पिलखन २९३ १ २९ एक एक ३९४ १ १२ २७४३ भाग पाग और एक भाग ४०१ १ २२ १-१ दिन ३-३ दिन नोट-पाठाका अर्थ कई स्थानोमें जलजमनी लिखा गया है, वहां अम्बष्ठा समझना चाहिए । अरल For Private And Personal
SR No.020115
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1928
Total Pages597
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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