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अवंती ॥ १२ ॥
आ चरित्र श्रीशुभशीलगणीजीए रचेला कथाकोष नामना ग्रंथमाथी उद्धरीने तेनी मूलभाषामां बनता प्रयासे सुधारो वधारो करी जामनगरनिवासी पंडित श्रावक हीरालाल हंसराजे स्वपरना श्रेयने
৫ ঝিমু माटे पोताना श्रीजनभास्करोदय प्रेसमां छापीने प्रसिद्ध कयु.
। समाप्तोऽयं ग्रंथः गुरुश्रीमच्चारित्रविजयसुप्रसादात् ॥
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