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अष्टांगहृदयः ।
'अ०२४
और सरसों इन सब द्रव्यों के कल्क को लगें तो मेढा के सींगों की स्याही तेल में शहत में मिलाकर लेप करे, अथवा लाख, | सानकर लगानी चाहिये। अमलतास, पमाड, और आमले का लेप जलसेक का निषेध । सथा कोदों और तृणधान्य के खार मिले । वर्जयेद्वारिणा सेकं यावद्रोमसमुद्भवः । हुए पानी से धोना । ये सब हितकारी हैं। | अर्थ-इन्द्रलुप्त में जबतक बाल न उगै
इन्द्रलुप्त की चिकित्सा। तबतक जल का परिषेक न करना चाहिये। इंद्रलुप्ते यथासन सिरां विद्धवा प्रलेपयेत्। खलत्यादि में नस्यादि । प्रच्छाय गाढं कालीसमनोहातुत्थकोषणैः। स्खलती पलिते वल्यां हरिलोम्नि च शोधि. धन्यामरतरुम्यां वा गुंजामूलफंलेस्तथा।
तम्। तथा लांगलिकामूलैः करवीररसेन वा ॥ नस्यवक्त्रशिरोभ्यंगप्रदेहः समुपाचरेत् । सौद्रक्षुद्रबार्ताकस्वरसेन रसेन वा।। अर्थ- खलति, पलित, बली और हरिधत्तरकस्य पत्राणां भल्लातफरसेन वा ॥ द्वर्ण रोमों में रोगी को शोधित करके नस्य भय वा माक्षिकहविस्तिलपुष्पशिकंटकैः । तथा मुख और मस्तक पर अभ्यंग और ___ अर्थ-इन्द्रलुप्तरोग में पासवाले स्थान
प्रदेह की व्यवस्था करनी चाहिये । की सिराको बेधकर अच्छी तरह से जल से
- अन्य उपाय । धोवे फिर हीराकसीस,मनसिल, नीलाथोथा, सिद्धं तैलं वहत्याधैर्जीवनीयैश्च नावनम् ।
और कालीमिरच का लेप करे । अथवा मासं वानिधज तैलं क्षीरभुझ्नावयेतिः ॥ . वन्या और देवदारू से अथवा चिरमिठी | अर्थ-वृहत्यादि और जीवनीय गण के
की जड और फलसे अथवा कल्हारी की जड़ | साथ तेल पकाकर इस तेल की वा नीम षा कनेर के रससे, अथवा मधुमिश्रित क्षुद्र । के तेल की नस्य एक महिने तक सेवन वार्ताक के रससे अथवा धतूरे के पत्तों के करनी चाहिये । नस्यग्रहण के समय ब्रह्मरससे अथवा भिलावे के रससे अथवा घी | चर्य से रहना और केवल दूध पीना
और शहत मिले हुए तिलके फूल और चाहिये । गोखरू का लेप करना चाहिये ।
पलितनाशक नस्य । अन्य औषध ।
नीलीशिरीषकोरंट,गस्वरसभाक्तिम। तैलाक्ता हस्तिदंतस्य मषी वा चौषधं परम् । शेल्वक्षतिलरामाणां घी काकांडकीसमम् ___ अर्थ-हाथीदांत की स्याही को तेल में | पिष्ट्वाऽजपयसा लोहाल्लिप्तादीशुतासानकर लगाना भी इन्द्रलुप्त की परमोत्तम
पितात् । औषध है ।
तैलं शृतं क्षीरभुजो नावनात् पलितांतकृत्। श्वेत केशों की चिकित्सा।
- अर्थ-नील, सिरस, कुरंटा और भांगरा शुक्लरोमोद्गमे तद्वन्मषी मेषविषाणजा। इनके स्वरस में शेलु, बहेडा, तिल, और
अर्थ-इन्द्रलुप्त में जो सफेद वाल उगने । महानिव के समान भाग बीजों को लेकर
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