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(३२४ ]
अष्टांगहृदय ।
अ०५
पिटिका के चिन्ह । उपस्थित हों तो दुर्वल रोगी मरजाता है । पिटिका मर्म हृत्पृष्ठस्तनांस गुद मूर्धगाः। तथा रोगी के नेत्रों पर सूजन हो, पुंजनपंर्वपाद करस्था वा मंदोत्साहं प्रमेहिणम् । सर्वच मांससंकोचदाहतृष्णामदज्वरैः।।
नेन्द्रिय टेढी पडगई हो, त्वचा क्लेदयुक्त और विसर्पमर्मसंरोधहिमाश्वासभ्रमलमैः ८७॥ पतली होगई हो, जिसका अफरा विरेचनसे __ अर्थ-प्रमेह रोग में यदि फुसियां मर्म / दूर हुआ हो वा जिसको वार वार अफरा स्थान, हृदय, पीठ, स्तन, कंधा, गुदा,सिर | होता हो वह रोगी मरजाता है । संधि, पांव और हाथ में होजाय तो मंदो- पांडुरोग के रिष्ट । त्साहवाला प्रमेहरोगी मरजाता है। तथा / पांडुरोगः श्वयथुमान् पीताक्षिननदर्शनम् ॥ पिडिकारोग: में यदि मांससंकोच, दाह, अर्थ-पांडुरोगमें यदि सूजन, हो और तृषा, मत्तता, ज्वर, विसर्प, मर्मरोध, हिचकी नेत्र तथा नख पीले पडगये हों तो रोगी श्वास,भ्रम और क्लांति ये उपद्रव हों तो मरजाता है । तथा उसको सव वस्तु पीली रोगी मरजाता है।
दीखें तो भी मरजाता है। गुल्म चिन्ह ।
शोफ के रिष्ट । गुल्मः पृथुपरीणाहोधनः कूर्म इवोन्नतः।।
| तंद्रा दाहारुविच्छर्दिमूर्छाध्मानातिसारवान्। • सिरानद्धोज्वरच्छर्दिहिमाध्मानरुजान्वितः |
अनेकोपद्रवयुतः पादाभ्यां प्रसृतो नरम् ९२ कासपीनसहृल्लासश्वासातीसारशोफवान् । नारी शोफोमुखाद्धति कुक्षिगुह्यादुभावपि । __अथे-यदि गुल्म मोटी जडवाला, कठार | राजाचितःस्रवछर्दिज्वरश्वासातिसारिणम्
और कछुए की पीठकी तरह ऊंचाहो, सि- अर्थ-तंद्रा, दाह, अरुचि, वमन,मूर्छा राओं से बंधा हुआ हो, तथा ज्वर, वमन, | अफरा और अतिसार तथा अन्य अनेक हिचकी, अफरा और वेदना से युक्त हो,
उपद्रवों से युक्त सूजनवाला रोगी नहीं बचता तथा खांसी, पीनस, हल्लास ( जी मिच- है । तथा पुरुष के सूजन पांवों से चढती लाना ) श्वास, अतीसार और सूजन से
| हुई ऊपरको जाय और स्त्री के सूजन मुख युक्त होतो रोगी को मार डालता है ।
| से नीचे के अंगों पर आवे तो इनके जीने - उदरव्याधि निमित्त रिष्ट !
| में संशय है । अथवा स्त्री पुरुष दोनों के विण्मूत्रसंग्रहश्वासशोफंहिध्माज्वरभ्रमैः ८९ मुछितिसारैश्च जठरंहति दुर्बलम्।।
कुक्षि वा गुह्यदेश में सूजन उत्पन्न हो तो शूनाक्षंकुटिलोपस्थमुपक्लिन्नतनुत्वचम् ९० / दोनों के लिये अच्छा नहीं है । जिस सूजन विरेचनहतानाहमानातं पुनः पुनः। में रेखा पडती हों वा झरने लगगई हो और
अर्थ-जठररोगमें यदि मल और मूत्रकी / वमन, ज्वर, श्वास और अतिसार ये उपद्रव रुकावट हो, श्वास, सूजन, हिचकी, ज्वर, | उपस्थित हों तो भी रोगी को आसन्नमृत्यु भ्रम, मूर्छा, वमन, और अतिसार ये उपद्रव | समझना चाहिये ।
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