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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुक्रमणिका । . - - - - ४३२ विषय. पृष्टांक. | विषय. पृष्ठांक. ग्रंथिविसर्प के लक्षण ४२६ | कृच्छ्रसाध्य श्वित्रके लक्षण कदम विसर्प श्वित्रका साध्यासाध्यत्व सनिपातज विसर्प सवरोगों को संचारित्व विसर्प के कारण कृमियोंके दो भेद विसपों का साध्यासाध्य विचार , जन्म से कीडोके चारभेद चतुर्दशोऽध्यायः । वाहकीडों का वर्णन कुष्ठकी उत्पत्ति ४२७ आभ्यंतर कृमि कुष्ठनाम का कारण पुरीषज कृमि कुष्ठ के भेद कफजकृमियों का निरूपण दोषानुसार कुष्ठके नाम रक्तज कृमि कोष्ठ का पूर्वरूप ४२८ पिडभेदादि पांच प्रकार के कृमि कापालकुष्ठ के लक्षण पंचदशोऽध्यायः । उदुंवर के लक्षण | अर्थार्थ में वायुका हेतुत्व मंडल के लक्षण पाचुके हेतुरूप होने में कारण बिचार्चकाके लक्षण वातका कर्म ऋक्षजिहब के लक्षण वायुका फोप चर्मकुष्ट के लक्षण बातव्याधि को कष्टसाध्यता एककुष्ठ के लक्षण आमाशय के उपद्रव किटिभ के लक्षण श्रोत्रादि और त्वचा के उपद्रव सिध्म कुष्ठ रक्त के उपद्रव ४३६ अलसक के लक्षण मांसदोगतवायु के उपद्रव विपादिकां के लक्षण अस्थिगत वायु दद्रुके लक्षण मज्जागत वायु शतारन के लक्षण शुक्रागत वायु पुंडरीक के लक्षण | सिरागत वायु विस्फोटक के लक्षण स्नायुगत वायु पामा के लक्षण | संधिगत वायु चर्मदल के लक्षण सवागगत वायु काकण के लक्षल धमनीगत वायु कुष्ठमें दोषोंकी अधिकता अपतंत्रक वायु कुष्ठविशेष में चिकित्सा त्याग अपतानक की उत्पत्ति कुष्ठमें साध्यासाध्य विचार __, अंतरायाम के लक्षण त्वचादिगत के लक्षण वहिरायाम के लक्षण रकादि में यथापूर्व लक्षण व्रणायाम के लक्षण श्वित्रकुष्ठ का निरूपण ४३२ गतबेग में स्वस्थता वातजादिशुक्र के लक्षण .., । हनुांस के लक्षण For Private And Personal Use Only
SR No.020075
Book TitleAshtangat Rudaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVagbhatta
PublisherKishanlal Dwarkaprasad
Publication Year1867
Total Pages1091
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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