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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुक्रमणिका। पृष्टांक. हीन मात्र संशोधन " विषय पृष्टांक. | विषय नामरहित रोग उदान वायु ११० ११९ रोगों के नाम न होने का कारण , ब्यान वायु विकारा नुसार चिकित्सा समान वायु रोगकी दश विधि परीक्षा अपान वायु गुरुलघु व्याधि की परीक्षा पित्त के भेद कुवैद्य की भूल रंजकादि पित्त कफके भेदादि निरूपण अल्प व्याधि में गुरु औषध का निषेध ,, उपसंहार ११२ अवश्य रोग नाशक औषध वायु का चय कोपशमन दोष की वृद्धि के भेद पित्त का चय कोपादि क्षीणदोष के गुण कफका चयकोपादि क्षयवाद्ध और समता के भेष चयादि के लक्षण दोष भेदों में असंख्यता दोषके संचय भादिका काल त्रयोदशोऽध्यायः । दोष संचय का हेतु | वायु का उपचार दोष संचयादिका अन्य कारण | पित्त का उपचार दोष की व्याप्ति और निवृति । कफका उपचार दोष कोप के अन्न हेतु दोषों के उपचार की विधि १२४ अन्य उपचार रोग के अन्य हेतु उपचार का काल १२५ हीनमिथ्यादि योग का स्वरूप विरोधी चिकित्सा न करने का कारण ,, कालका हीन मिथ्यादि रोग शाखाओं में दोषों का आना जाना " कर्म का हीन मिथ्यादि रोग कोष्ठ में दोषों का कर्म १२६ दोष का निदान दोषों के कुपित होने का कारण वाह्यभाग में होनेवाले रोग परस्थान गत दोष की चिकित्सा कोष्ठगत रोग तिर्यक स्थानगत दोष मध्यमरोग मार्ग साम तथा निराम मलके लक्षण घायु के कर्म वायु के कर्म आम का लक्षण कफके कर्म अन्य मत रोगी को बार बार देखने का कारण , साम का अर्थ व्याधि की उत्पत्ति का प्रकार बाहर न निकालने योग्य सामदोष , उक्त तीनों के लक्षण आम दोष में कर्तव्य त्रिविध व्याधि की चिकित्सा दोषों के निकट वर्ती स्थान व्याधि के प्रकारान्तर दोषो के रोकने का निषेध स्वतंत्रादि व्याधि के लक्षण वर्हिगमनोन्नुख दोषों में कर्तव्य , परतंत्र व्याधियों की शमनोपाय ११९ । दोष शोधन का काल । " ११६ १२७ For Private And Personal Use Only
SR No.020075
Book TitleAshtangat Rudaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVagbhatta
PublisherKishanlal Dwarkaprasad
Publication Year1867
Total Pages1091
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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