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सूत्रस्थान भाषाटीकासमेत ।
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प्रकोपक होता है मनुष्य के शरीर की धातुओं के समान वकरे के धातु हैं इससे यह मांसपौष्टिक और अनभिष्यंदि हैं इस वात से मनुष्य के मांस के गुण भी जान लेना चाहिये यह समानता केवल धातुओं के गुण की जाननी चाहिये द्रव्य की नहीं ॥ भेड़ के मांस के गुण 1 विपरीतमतो ज्ञेयमाविकं वृंहणंतु तत् ।
अर्थ - भेड़ का मांस बकरे के मांस से |विपरीत गुणवाला होता है । यह अत्युष्ण, अतिगुरु, अति स्निग्ध, अति दोषजनक, अभिष्यन्द और मांसवर्द्धक होता है ।
करनेवाला है । चिडिया का मांस कफकारक, स्निग्ध, वात नाशक और अत्यन्त वीर्यवर्द्धक होता है ।
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बिलेशयादि का मांस । गुरूष्णस्निग्धमधुरा वर्गाश्चातो यथोत्तरम् मूत्रशुक्रकृतो बल्या वातघ्नाः कफपित्तलाः । यहां से आगे जो बिलेशयादि पांच वर्ग हैं उनके मांस यथाक्रम उत्तरोत्तर अधिकतर भारी चिकने और मधुर रस युक्त होते हैं । अधिकतर मूत्र, शुक्र और बलकारक होते हैं अधिकतर वातनाशक और अत्यन्तकफ और पित्तवर्धक होते हैं। अर्थात् विदेशयवर्ग की
अपेक्षा प्रसवर्ग अधिक भारी, मधुर और नादि गुणयुक्त होता है । प्रसहकी अपेक्षा महानुगादि इसी तरह और भी जाना ।
महामृगादि के गुण |
शीता महामृगास्तेषु क्रव्यादाः प्रसहाःपुनः ॥ लानुरसाः पाके कटुका मांसवर्धनाः । जीर्णाशग्रहणी दोषशोषातीनां परं हिताः ॥
अर्थ अव महामृगादि के विशेष गुण कहते है महामृगों में बाराहादि का मांस शीत वीर्य होता है प्रसहगण में बिल्ली गिद्ध आदि कवा मांस खानेवालों का मांस किंचित् लवण रल युक्त कटुना की और अतिशय मांसबर्द्धक होता है यह जीर्ण रोग, अर्श, ग्रहणी और • शोषरोग में वहुत हितकारी होता है । बकरे के मांसका गुण । नातिशीतंगुरुस्निग्धं मांसमाजमदोबलम् । शरीरधातुसामान्यादनाभिप्यदिबृंहणं ॥ ६३ ॥ अर्थ- बकरे का मांस अल्प शीतवीर्य अप गुरु अप स्निग्ध और ईषत् दोष
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गोमांस के गुण |
शुष्ककासश्रमाऽत्यग्निविषमज्वरपीनसान् । कार्य केवलवातांश्चगोमांसं सन्नियच्छति । अर्थ - गोमांस सूखी खांसी, श्रम, अत्यग्नि, विषमज्वर, पनिस, शरीर की कृशता, अन्य दोषों से रहित केवल वात प्रकोप को दूर करता है 1
भैंसा के मांस का गुण | उष्णोगरीयान्महिषःस्वप्रदा वृहत्वत् ६५ अर्थ- मेंसे का मांस गरम, भारी, निद्रा लानेवाला, शरीर को दृढ और वाला है ।
पुष्ट करने
बाराह मांस के गुण । तद्वद्वराहः श्रमहा सर्वशुक्रवलप्रदः । अर्थ - शूकरके मांस के गुण मेसे के समान ही होते हैं । विशेषता यह हैं कि शूकर का मांस श्रमनाशक, रुचिवर्द्धक, तथा वीर्य और बलबर्द्धक होता है ।
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