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नवीनतम
१ श्रीमती सुकन कुमारी बाई
उमराव बारे
अभयकुमारी (अयजी) ४ , चांद का है धन कुँवर
संपत बाई " पूना बाई
८ श्रीयुत मुकनमल जी की धर्मपत्नी इसका भाषानुवाद करने के लिये यहां के सुप्रसिद्ध जैनागम पाठक, जैनशैली जाता, श्रीदार संस्कृत पाठशाला के प्रधानाध्यापक पं० भगवतीलाल जी विद्याभूषया से अनुरोध किया गया, पन्होंने यह कार्य स्वीकार किया और प्रत्येक माकृत गाथा के मुबोधार्थ संस्कृत छाया भी बनाने का परिश्रम उठाया, हम इस कार्य के लिये श्रापके पूर्ण कृपा हैं।
इस पुस्तक को इपवाने तथा प्रूफ संशोधन करने में "श्वेताम्बर जैन के सम्पादक आगरा निवासी लोढा जवाहर लाल जी ने पूर्ण परिश्रम किया है-अतः वे भी धन्यवाद के पात्र हैं।
विक्रम संवत् १९८१ 1
साध्वी गुरु श्री भादवा कृष्या ११,
वजनिकलन
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