________________
Shin Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirtm.org
Acharya Shil kailassaganser Cyanmandir
श्री अष्ट प्रकार
पूजा ॥ ५ ॥
पीचर्वजलिनालय
* श्री जिनेन्द्रो जयति * श्रीमती परम पूजनीय गुरुणी जी महाराज श्री गुणश्री जी साहिया का चरित्र ।
"तत्पद्यन्ते विलीयन्ते वुद्ध खुदारव वारिवि" । इस भसार संसार में नसी प्राणी का जीवन समान है और वह ही अमर है, कि जिसने अपनी आत्मा का हित करते हुए अन्य प्राणियों का भी हित किया हो । यों तो कई जन्म पाते और मर जाते हैं। जैसे पानी के बबूले (बुबुदे) पठते हैं और वहीं लीन हो जाते हैं।
हम आपको एक गुणों की राशि, सच्चरित्रा, शान्त मूर्ति, वयोवृद्ध एक सपस्वनी का चरित्र झुना कर अपने को सार्थक मागे। पहिले बड़ी गुरुखी जी महाराज के चरित्र में थोड़ासा सूत्रपात किया गया था, अब उसका सविस्तर भाष्य यथा मति प्रकट किया जाता है।
सुना जाता है कि पांच सौ वर्ष पहिलस मरुस्थल की राजधानी जोधपुर नगर को राव जोधा जी ने बसाया चा, सन दिनों में प्रोसवाल वंश की शाबादी औसियां में घी, पुनः धीरे २ यहां आकर श्रोसवाल बसने लगे।
इस वंश परम्परा में सुप्रसिद्ध एवं प्रतिष्ठित बादलमल जी भासाली सिंहपोल मुहल्ले में निवास करते थे, इनकी धर्म पत्नी का नाम सरदार बाई था। जो एक अमूर। पुत्रीरत्र के पैदा करने से त्राधिका वर्ग में सरदार रूप ही बनी । शुभ
जनन
For Private And Personal Use Only