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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ६२ ) गया घुस कर उसकी विधवा पुत्रवधू फातिमा का हाथ पकड़ लिया और कहा कि "तुम तो मेरी बीबी हो, फातिमा !" फातिमा बच्चे के मुख से अपना नाम सुन कर बेहोश हो गयी । कहते हैं कि लड़के की सारी पूर्व स्मृतियाँ जाग उठी और वह बिना किसी के बताये ही अपरिचित मकान में इस तरह व्यवहार करते हुए कि जैसे उसीका जाना-पहचाना घर हो, पूर्वजन्म की बीबी के भीतरी कक्ष में जाकर पूर्व परिचित अपनी कुर्सी पर : बैठ और फातिमा के श्वसुर को अब्बा- अब्बा कह कर पुकारने लगा । फातिमा पान लगा रही थी, लड़के ने जाते ही कहा, "फातिमा, हम भी पान खायेंगे ।” पता लगा कि फातिमा के पति फारूख की मृत्यु पाँच वर्ष पूर्व हुई थी। जब सभी लोग एकत्र हो गये, तब लड़के ने पूर्वजन्म की कहानी सुनाते हुए ऐसी सारी बातें सुनायीं, जो केवल फातिमा और फारूख ही जानते थे । उसने कहा कि मैंने अपने भाई को, जो पाकिस्तान में हैं, ५ हजार रुपये भेजे थे और ३ हजार बैंक में जमा है । उपर्युक्त व्यक्ति लाहौर में व्यापार करता है और फारूख का इरादा भी वहीं रहने का था, इसका रहस्योद्घाटन लड़के ने किया। उसने पहले के भाई उमर आदिल का नाम भी बताया । यह भी कहा कि मेरे श्वसुर के चोरी गयी थी, जो वास्तव में सच्ची घटना है। लड़के की बातें सुनकर उसके पूर्वजन्म के पिता ने करता, तथापि जो आँखों के यहाँ से एक बन्दूक कहा कि सामने यद्यपि मैं पुनर्जन्म में विश्वास नहीं देख रहा हूँ, उससे इन्कार भी नहीं कर सकता । - 'नवभारत टाइम्स' ( हिन्दी ) ता० २८-६-५६ रविवार [ ४ ] हारीज । ठक्कर शिवराम की ८ वर्षीया पुत्री हीरा अपने पूर्व जन्म की कथा बताती है । उसके पिता उसे लेकर हारीज आये हैं । For Private And Personal Use Only
SR No.020070
Book TitleArhat Dharm Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKirtivijay Gani, Gyanchandra
PublisherAatmkamal Labdhisuri Jain Gyanmandir
Publication Year
Total Pages82
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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