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यह जगत कितनी विचित्रताओं से परिपूर्ण दिखाई देता है । इन सब विचित्रताओं का मूल कारण 'कर्म' है। यदि कर्म-जैसी वस्तु न होती, तो यह प्रत्यक्ष दिखाई देनेवाली विचित्रता भी न होती । एक राजा, एक गरीब, एक सुखी, एक दुःखी, एक रोगी, एक निरोगी, एक काला, एक गोरा, एक स्थूल, एक पतला, एक सेठ, एक नौकर, एक मूर्ख, एक बुद्धिशाली, नीचा, ऊँचा, लूला, लंगड़ा, अंधा, बहरा, सुंदर और कुरूप इन सब विचित्रताओं के पीछे कुछ कारण है । उन विचित्रताओं के पीछे 'कर्म' नामक एक महासत्ता काम कर रही है और उसी के फलस्वरूप जगत इतनी अधिक विचित्रताओं से परिपूर्ण दिखाई देता है ! ____ कर्म के अणु अखिल विश्व में निबिड़तम रूप से भरे हुए हैं । यद्यपि वे अदृश्य हैं फिर भी हम उनके कार्य से उन्हें जान सकते हैं ।
एक समय लोग ऐसा कहते थे कि, हिटलर किसी भी समय पराजित नहीं हो सकता । उसकी विजय के डंके चारों ओर बज रहे थे, फिर भी आज उसका नामो-निशान तक नहीं रहा और जिसका 'ब्राडकास्ट' सुनने के लिए एक समय हजारों-लाखों आदमी दौड़ पड़ते थे, आज उसकी वाणी सुनने के लिए कोई तैयार नहीं। बड़े-बड़े राजाओं के सिंहासन हिल उठे, अभिमान में चूर न जाने कितने रुस्तम आनन्-फानन में जमीनदोज हो गये । इन सबका मुख्य कारण कौन ! कर्म ।।
एक ही माता के उदर में से एक साथ पैदा हुए युगल में भी एक मूर्ख और एक बुद्धिशाली, एक धनिक और एक गरीब, एक काला और एक गोरा पैदा होता है, इसका क्या कारण ? गर्भ में तो किसी ने किसी प्रकार के ऐसे कर्म नहीं किये थे, फिर भी इतनी अधिक विचित्रता क्यों ?
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