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आराधनास्वरूप ।
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धरममें बीताय करो ॥ घडी० ॥ जग धंधेमें सब धन खोयो। कुच्छ तो धरममें लगाय करो ॥ घडी० ॥ कहे सो ग्यानी सुन भव प्राणी । आवत मनको लगाय करो । घड़ी दो घडी मंदरजीमें आय करो।।
राग भेरवी। ___ गुरूजी मैंने औगुण बोत किये, प्रमुजी मैंने औगुण बोतः किये ॥ पांउ धरे धरनीपे उतने खून भये ॥ गुरुजी० ॥ जितनी नारी नजर भर देखी, उतने पाप भये ॥ गुरुजी० ॥
स्त्री उवाच-जिते पुरुष नजर भर देखे । उतनन पाप भये। ॥ गुरुजी० ॥ रतनचंदकी यही अरज है, बोना बोत भये, औगुण बोत किये ॥ गुरुजी० ॥
राग--शार्दूल पुरुष उवाचमोटी ते सहु मात्र तुल्य गणुं हुं छोटी गणुं पुत्रीओ। जे होये सम वर्षमां मुज तणां तेने गणुं भगीनीयो । एवी मानव मात्रमा मुज थजो प्रीति तणी वृष्टीयो ।।
आ काले मुजने प्रभु करी कृपा आशिष एवी दायो । स्त्री उवाच--- मोटा ते सहु पित्र तुल्य गणुं हुं छोटा गणुं पुत्रओ ॥ जे होये समवर्षमां मुज तणा तेने गणु बन्धुओ ॥ एवी मानव मात्रमा मुन थजो प्रीति तणी वृष्टीओ॥ आ काळे मुनने प्रभु करी कृपा आशीष एवी दीयो ।
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