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प्रथमावृत्ति.
दिगंबर जैन ग्रंथमाला नं. ४५.
॥ श्रीवतरागाय नमः ॥
आराधनास्वरूप ।
( अनेक स्तुतिएं, पदों आदि सहित )
संग्रहकर्ता --
मुनीम धरमचंदजी हरजीवनदास - पालीताणा.
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प्रकाशक
मूलचंद किसनदास कापड़िया - सूरत.
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वीर सं. २४४२ प्रतियाँ २१००
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घोघा (भावनगर) निवासी स्वर्गवासी शेठ ठाकरशी नत्थुभाईके स्मरणार्थ 'दिगंबर जैन' के ग्राहकको सेवा वर्षका पांचवाँ उपहार । खा.श्री. वाससागर हरि ज्ञान मंदिर श्री मद्र, कोबा
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