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६२ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ३. रांकीबराबरिकी अनकले पाछेयासारांनेचित्रककाकाटाकारसमेदि नषरलकरे पाछैकालीपिरचिपमाणगोलीबांधै गोलारोजीनाम हिनां ताईपायतो संन्निपातकीसंग्रहणीजाययोश्रभ्रकगुटिका छै अथवा सोधीगंधक पारोअभ्रक हांगलूसारजायफल बील कीगिरि मोचरस सोध्योसीगीमुहरो अत्तीस सूंठि कालीमिरचि पी पलि धावड्याकाफूल घृतमैसेकीहरडैकीछालि केथ अजमोद चि त्रक अनारदानांइंजव धतूराकाबीज करागच अफीमयेसारीब राबरिले प्रथमपारागंधककाकजलीकरै पाछेईकजलीमैं येोष दिमिहीवाटिमिलावे पाठे विगोलीमिरचिप्रमाणबांधैछ्योतरांका : रसमेंयोयहणीकपाटरसछै ईकागोली देतो सन्निपातकासंग्रह पार्नेमूलने अनीसारनै विसूचिका यांसारांरोगांने योदूरिक दिन १५ सेवनकषांयेवैद्यविमोदमेलिष्योछे ४ अथघिदोसकासंग्र हरगीकोभेद आमवातकासंग्रहगीतीकोलक्षगलिष्यते पत लोसपेद चीकरणोमलजाय काटमैपीडाचाले आंबनेलीयोगला नरैयावधपोहोय पीडघएगाहोय करेंत्राच्योदरीषे पाछे दवेदि नमहीनामेंफेरिहोयावे अथवारोजीनाहियोरोगरहै नबोल बोकरे बालसाबोकरैसरीरबलोहोजाय पेटमैपीडरहबोकरे दिन रहैगतिने अाब्योहोय येजा,लक्षराहोयतीनेग्रामवान कीसंग्रहणीकहिजे यामाप्रसाध्यहीछे ईकोजतनपरसन्निपानकी संग्रहणीकोजतनयेकहीछे अथसंयहसीकोभेदघटीयंत्रछैती कालक्षालिष्यते सरीरसूनोरहै पसवाडामैसूलचालै पेटबो लबोकरे अरसंग्रहपीकालागछे सोहोय ईनैपटीयंत्रकहिजेया मानसाध्यछे औरअनीसारकाप्रसाध्यलक्षणपाछेलिष्याठे सो
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