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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग घृत सीधोलू वडा गुड दहीं अरहिमरितुमें कह्यासोभि२ इ तिशशीरितुकीविधि० अथवसंतरितुकाच्आहारविहारलिο वसंतरितुमैकोपकुंप्राप्तिहुवोजोकफसोरोगांनें पैदा करे तदिज ठरकीत्र्यग्निकोनाशकरै तीं वास्तेसहनसंयुक्तहरडेषाणीतोकफड् रिहोय परशरीरमै बलहोय अरवसंतरितुमैं भ्रमणपथ्यछे पर चित्रककोषाबोपथ्यछै अरकफहारीद्रव्याख्याछे ३ इतिवसंत रितुकीविधि० श्रथग्रीम स्तिकाआहारविहारलि• ग्रीषारितु मैसूर्यसर्वप्राणिमात्र कोबलहारिले ईवास्तेदृक्षादिकांकीसघन छायासेबोजोग्य गुडसंयुक्तहरडे सीतलजलादिलेरद्रव्य मधुरभोजन हलका भोजन दाष चीकरणद्रव्य सिषरणि सातू सर बनमिश्रीको सीतलजलमैंतिरवो षसषांनो फंवाराचादरिकोछु डावो कपूरचंदनादिककोलेप दिनकोसोवो षसकोवीजों बीर को भोजनईनेंत्र्यादिलेरऔर भी ग्राछी वस्तयेरितुमें पथ्यछे अरईरि तुमैंइतनी कुपथ्य वडवीवस्त तीषीवस्त लूा पटाई दाहवर्ता वस्त षेद दारुं नावडोयेलाकुपथ्यडे ४ इतिग्रीष्मविधिः प्रथ वर्षारितुकाआहारविहारलि• सांधोलूणसंयुक्तहरडे ची कणों द्रव्य लग बटाई सालिजन सूंठ मिरचि पीपलि पीपलामूल चित्रक सींधोलूयांसयुक्तदहींकोमठ्ठो गरमपाणी कूपाकोज ल सुदवस्त्र भ्रमण हलकाभोजन जुलाब ईरितुर्मेपथ्यले अथ ईरितुमैकुपथ्य दिनकोसोवो षेद तावडी तलावकोजल दही बन कोध्यान मैथुन येकुपथ्य ५ इतिवर्षारितुकीविधि० अथसर दरितुकाच्याहारविहारलि• वर्षारितुमें उपज्योजोपितसौसरद रितुमें कोप कूंप्राप्ती होय नांकारिकरि वा
मिश्रीसंयुक्त
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