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५२४ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग क्ष्मधारहोय परसुईसिरीसाशरीरमैचभकाचालै घरलालहोय ये सारालोहीमेंलक्षण होय तदिजाणिजे लोहाचायसूंडुष्टहुवी ३ अ थपित्तसंदुष्टहुवोजोलोहीतीकोल क्षगलि० लोहीपीलोहोय हस्यौहोय नीलोहोय कालोहोय जीमैडुरगंधियएगीावे चालेनहींग रमहोय मांष्पां परकीडीषायनहीं जीलोहीमें ये लक्षण होयतीन पत्त संदुष्टहुवोजाणिजे ४ अथकफसंदुष्टष्टहुवोजोलोहीतको लक्षएगलि० लोहासीतल होय घरपोहोय ची करणो होय भारयौहोय गे रुंकारंगसिरीसोहोय मांसकी गुठल्यांसिरीसो होय होलैचालै येलक्ष एगलोहीमैहोयतींनैकफसूंडुष्टहुवोजाणिजे ५ ग्रंथसन्निपातसूंड ष्टहुवोजोलोहनीकोलक्षगलि० जीमैयेसारालक्षएामिलैश्वर कांजी सिरीसोजी कोरंग होय तीनेसन्निपातसंदुष्टहुवोजाणिजे ६ अथविषकरिकेंडुष्टहुवोजोलोहीती कोल क्षएगलि० जींकोलोही कालोहोय अरनांकमै घणोंचाले दुरगंधियाने काजीको सोरंग होय ईकोटहोयावे सांवल कीडोकरीसोजीकोरंग होय परश रीरमै सोजोहोचावे अरशरीरमें दाहलागिजाय शरीरपकिजाय येल क्षराजीमैहोय तीन विषकरिदृष्टहुवोजाणिजे ७ अरातनांरोगां नैयो लोही कदा बोजोग्यछै सोरोगलि० सोजाकोरोगहोय शरीर मैं दाहहोय मंगफोडा फुएास्यांसंपकिजाय शरीरको वर्णवाल होयजा य वातरक्तकोरोग होय ब्याऊउ गरेरोगहोय स्तनको रोगहोय शरीर भारखोरहे लालियांषिर है तंद्रावै नासिकामूंडाकारोगहीय फीयो गोलो विसर्पकोरोगहोय विधाहोय छालाउगेरैको रोगहोंय मथ वायकोरोग होय उपदंशनामगरमी कोरोगहोय रक्तपित्तहीय यांसा रारोगांनै लोही कंटाबोजोग्य सोयांरोगांमेलाही सांगडी अथवा
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