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५०७ अमृतसागर तथा मतापसागर तरंग २३ पटकनोसादरलैरंक २॥ फिटकडीले पाछैयांसारांनेदिन ३षरलक रैपाछैानसीसीसीकैकपडमिट्टी दे अरयेसासीमैयेोषदिम रेपाछेसीसीकैमूटेषामदेरवालुकाजंत्रमैसीसीमेलै पाछेउनेंभ ट्टीउपरिचढावे नीचेअग्निबाले क्रम मंद मध्यभरघणीइसीत रैअग्रिप्रहर३२कादेपाछेस्वांगसीतलहवां वालुकाजंत्रमेंसंसासी
काटे पाछे सीसामाहामाईरससिंदूरकादिवांटिरनी रोजी नांपानसाथिषाय अरपथ्यरहेतोसर्वरोग.जुराजुदाअनुमा नसूंयोडूरिकरें? अरभूषलगावे, अरशरीरनैपुष्टकरेछे। इतिहरिगोरीरससिंडूरकीक्रिया. अथवा हींगलंकोकाटयो पारोअथवा योहीसुध्योपारो अरसोध्योनांवलासारगंधक यांदो न्यांनैबराबरिले अरयांनैवउकीजदाकारसमेदिनापरलकरें पाछैानसीसीसीकैकपडमिट्टीदेवेमेयेभरें पाछेईसीसीईट कीषामदे अरवालुकाजंत्रमैंसीसीमेले पाछेचालुकजंत्री परचढाय क्रम मंदमध्यपरतीक्षगांचदेपहर की पाछै ईनैखांगसीतलहुवांकाटै पाछैईसीसीमांहि का ईकोरंग हींगलू सिरीसोहोय योरतीपानमैषायतोगुणयोंकरै सर्वरी गांरिकरै इतिरससिंहरकाकिया.२ अथपारामारवा कीविधिलि पाराषरलमैंघालि गूलरिकाढूधमैपहर१पर लकरै पाछैईकीगोलीबांधे पाछैगूलारिकाधमैचोषोहींगधसि ईहींगकीमुसिदोयरवणावे पाछै पाराकीगोली,मुसिमें मेलि दूसरीमुसिकोमुंहंडोजोडिमुंसिकैषामकरैपाछैई सुकाय सेरा छापांकीभोभरिमैपकावै नदिओयारोसुपेदपिलिजायई कीभस्महोय याभस्मसर्वरोगमात्र. हरिकरेछे इतिपारामार
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