________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
४८९
२१
अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग बहणतीकादोषको लक्षणलि• जुरहोय अहारलेनहीं अथवें कासुषकै वास्तै वेंकीबलिलि० गोहांकोटाकोवूनलोकरे पू तलांकासूंढाकैडूथ की धारदे पाछैरक्तचंदन पीलाफूल गंध तांबू ल दीवा ७ वडा - माला पूवा मांस सुरा पूर्वादिश में उतारोमेले पांडेसांतिकाजलसूंस्नानकरांवे पाछेशिवनिर्माल्य गूगल गऊको सांग सापकीकांचली घृत यांकीधूणीदे अथमंत्रलिष्य● उनमो रावणायमुंच स्वाहा चौथेदिनब्राम्हणभोजनकरावैतौ बालकच्या ब्योह्येय ४० अथवार वैदिनवार वैमासवार वैवरषकामुका नाममातृका रावण की बहन का दोष कालक्षणलि० जुर होय हसे हाथदूरिकरै पुकारैघणों साल घणोंलें अथर्वेकी बलि लि॰मावाकोपूतलोकरै पाछैगंधनांबूल सुपेदपुष्य ध्वजा ७ माल पूवा ७ यांकी बलिदै पाछे शांतिकाजलसूं स्नानकरावै पाछेशिव निर्माल्य गूगल सिरसूं घृत यांकीधूलीदे अथउताराकोमंत्र लि० ॐनमोरावणायमुंच रहन २ स्वाहा चोर्थेदिनब्राम्हणभोज नकरावेतौ बालकआव्योहोय ४१ योरावरणको वायोकु मारतंत्रचक्रदत्तमैलिष्योछे अथबालकांकारोगांकीऔरउत्पत्तिलक्षणलि• धायकाभास्यागरिष्टभोजनकांसूं अरविषमवायपित्तकाआजारांसूं बालककाशरीर में दोष है सोको पकुंप्राप्तिहोयछे अरसे ही कुपथ्यका भोजन सूं धायकास्तन में प्राप्तिहोय दूधङ्काराबालककैरोगनैकरैछै धायकावायकाडुष्ट भोजनसंवादुष्ट होय परओवाय दूध मैं प्राप्तिहोय तदिदूध चावैजदिबालककौवाय कारोगहोय नदिओ बालकषीण हो जाय मूंढोसुपेदह्येजाय शरीरकस होजाय पर वेंकोमलमूत्रनीठी
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
For Private and Personal Use Only