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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४७७ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २० तथा स्वाधर्मकैसमेंपलासपापडानेसहतसूमिहींचाटिभगमा हिलेपकरैतो वास्त्रीगर्भनेकदेभाधारेनहीं अथवा गाजरकाबी जकलौंजी यानैगुडकैसाषिषायनोस्त्रीकोगर्भगिरिप९ अथवा चौलाईकाजडनैंचांवलांकापागाकैसाथिस्त्रीरितुकेसमैदिन ५ पीवैतौ वास्त्रीवंध्याहोय १० अथवा रितुकैसमैं नींबकीजडका जुक्तिसंजोनीकैथूगादेतौ स्त्रीवंध्याहोयाअथवा मेथीदागासे राथ॥ अरगुउसेरा यांनैपाणीसूओटाययोजलदिन ५सी वैती अरगरवांकाजड अराल यांकीवातीकरिभगमैंमेलेतो रंडा स्त्रीकोगर्भपातहोय १२ अथवा कड़नीनूंबीअरसांपाचली सि रस्यूं यां.करवातेलमेंकांदि ईकीभगकैथूणादेतोरीकोगर्भपा नहोया३ इति स्त्रियांकासर्वरोगांकाउत्त्पत्तिलक्षराजतनसं० इतिश्रीमन्महाराजाधिराजमहाराजराजेंद्रशासवाईप्रता पसिंहजीविरचितेश्रमनसागरनामयंथेस्त्रियांकाप्रदर. आदिलेररियांकासर्वरोगांकाभेदसंयुक्तउत्पत्तिलक्षराज तननिरुपनामविंशतिमस्तरंग संपूर्णम् २० अथवा लकांकारोगांकीउत्त्पत्तिलक्षाजतनलि. प्रथमबालकां कानवग्रहजुदाहीछे यांनरंयहां भिन्नछे सोअपवित्रबालक नैं नवग्रहपीडाकरेठे सोईकारणसूवानवयहांनैवालककार क्षाकरणी अथबालकाकानवग्रहाकानामलि. कंग्रह स्कंदापस्मार २ शकुनी रेवती४ पूतना गंधपूतनाशी नपूननामुषमंडिका-नैगमेयनर९ अथनवग्रहांकाउ सत्तिलियनवयहसामकार्तिककारक्षाकेअर्थश्रीमहादेव जीउपजायताबा सोयांनवग्रहांकोसरुपमहासुंदरजोस्त्री For Private and Personal Use Only
SR No.020035
Book TitleAmrutsagar Vaidyak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSawai Pratapsinh Maharaj
PublisherGyansagar Press
Publication Year1860
Total Pages590
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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