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४७४ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २० नांषेतौस्त्रीकाकफकारवायकासारारोगजाय परस्त्रीकागो लानैसूलनैंजुर.दूरिकरेअरभूषलगावै परांबनेंरिकरेपर ईकमलकरोगनिवेहीइरिकरै३ अथवा सूरि मिरचि पीपलि तज पनजनागकेसरि इलायचीधणों यांनैमिहींवांटिटंकरापु राणोगुड लेतो कमल्यकरोगजाय४ अथजीस्त्रीकैप्रसूतिह ईहोयनास्त्रीनैजुक्ति प्राहारविहारकरा०परवानी इतनावसकरैनहीं षेद मैथुनकोधरंदमैरहवीयेवस्तकरैनहीं मिथ्यापारकरैतौवेंकैसूतिकारोगपैदाहोय१अथसूतिका रोगकाउत्पत्तिलि. मिथ्याग्राहारतेघणाकेशकाकारवाकरैम पमवासनकरिके अजीमैंभोजनकरिके परजायामैजोरोग होयछैसोसाराईभयंकरछै । अथसूतिकारोगकोलक्षरगलि. अंगार्मेपीडाहोय जरहोय यासीहोय निसघशीलागेसरीरभा सोहोय अरशरीरमैंसोजोहोय अरपेटमैंमूलहोय अनीसारहो य येजांभलक्षणहोय तीनैसूतिकारोगकहिजै अथसूतिका रोगमैनोरजुरादिकरोगहोयत्तीकाविशेषउत्पत्तिलिष्यते जापामैंजुरहोय अतीसारहोयसोजोहोय पेटमैंमूलहोया फरोहोय शरीरकोबलजातोरहे तंदाहोय अरुचिोय अरईनें
आदिलेरऔरभीकोईरोगहोय वायकफको अरबलमांस ग्निजकाजातीरहीहोष यांसाराहारोगांनैसूतिकारोगकहिजै १ अथ सूतिकारोगकाजतनलि जोवस्तवाय. इरिकरैसो सारीहीऔषदिसूतिकारोग.रिकरे२अथवा दशमूलकोका दो सूतिकारोगनेंडूरकरै३अथवा गिल सूरिसहजगों पीप लि पीपलामूल चव्य चित्रकनेत्रपालो यांकोकाटोसहतनाषि
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