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४६३ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग कहींतरे की चोटला गिवासूं अथवा जोनिकैनषदांत कालागिवा सूं येकुपितहुवाजोवायपित्तकफ सोजोनिकेंविषै जोनिकंदनाम येकरोगनैंउपजावैछै१ अथजोनिकंदरोगको स्वरूपलिष्यते जोर्निकैमांहियेक गांठराधि लोही नैलीयांवड हलकाफलसिरीसी उपजैछै सोपाछैकारणकत्यात्यांसूं बेनैवध्यकहै छै प्ररजोनिक दनामभीरोगकहै छै १ जोनि कंदनामरोगच्यारिप्रकारको छै वायको? पित्तको २ कफको ३ संनिपातको ४ प्रथवायकाजो निकंदकोलक्षणलि० बाजोनिमांहिलीगांठलूषीहोय वैंकोव एत्रिप्राध्योनहींहोय अरजोनिकावर्णसिरीसोवेंगांठ कोमूंढोफा ट्योहोय चेंनेंवायकोयोनिकंदकहीजै १ अथपित्तकाजोनिक दकोल क्षणलि० वाजोनिमांहिलीगांठदाहनेंलीयांहोय अर लालहोय सेतीजुरहोय मावै इनेपित्तको जोनिकँदकहीजे ४ अरजीस्त्रीकै योजोनिकंदरोगहोयछे वास्त्रीचांकहोयछे वा -स्त्रीस्त्रीधर्महोयनहीं २ अथवंध्यास्त्रीकाजतनलि० जोस्त्री स्त्रीधर्महीयनहीं वास्त्रीनित्यमांछलाकामांसनैषायतौस्त्रीध महोय १ अथवाकांजीनित्यषाय अथवा तिलनित्यषाय अथ वा उडदनित्यषाय अथवा दहींनित्यषायतोवास्त्री स्त्रीधर्महीय तदिवेंकीचंध्यापणा कोदोषरिहोय २ अथवा साठाकाबीज क डवीतूंबी दांत्यूणी पीपलि गुड मेंटल दारुकोफावो जवषार थोहरकोदूध यांसारांनैयेकदा मिही वाटिज्मुनिमैंईकीवातीदे तौवास्त्री स्त्रीधर्मतत्त्कालहोय अवेंकोवंध्यापांकोदोषतत्का लडूरिहोय ३ अथवा मालकांगणी राई विजयसार बच यानमिहीनां टिसीतलजलसूंदिन ५पीवैतौवास्त्री स्त्रीधर्महीय परवेंकोवंध्या
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