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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 1 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १८ ४२७ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग सिरमै बाजिघणी होय तदिजालिजैईको कफकोपीनसडे १५ म थसन्निपात कापीनस कोलक्षएालि० जीकानां कर्मैयेपा कत्यासोसर्वलक्षणहोय अरोपीनसवारंवार होय रजतनक स्यांजायनहीं धरपकै भीनहीं ईनेसन्निपान कोउपपीनसंजाणिजे योभ्वसाध्य १६ अथडुष्टपीनसकोल क्षणलि• जीकोनांक वारंवारपरिवोकरे परसूकिजाय वरसासनांकाठीतरैयावें नहीं नांकरुधिजायश्वरकदेषु लजाय र सुगंधिदुर्गंधिकोग्यां नरहैनहीं ईनेंडुष्टपीनसकहिजे १७ थलो ही काउपज्यापीन सकोलक्षएालि० जीका छातामै चोटलागीहोय नीकैलोहीको पीनसहोय तीकानांमैंलोही वडे सर वेंकैपित्तकापीनसकाल क्षणहोय पर वेंकीत्र्यांपिलालहोय येल क्षणजीकैहोय तो ही कोपीनसकहिजे १८ अथपीनस को साध्यलक्षललि. मालसफरिकेंपीनसकोजननकरैनहींतो सर्वही पीनसयसाध्य होजाय १९ प्रथपीनसवाला कैनांक में कृमिपरिजायतीको लक्षएालि• जीकानां कर्मैपीनसकरिकैंसुपेदारची कणीका रछोटी कृमिपडिजाय मरदासैनंहीं तीं कैसिरको रोग होजाय मरमौरभीरोगांनप्रगटकरै बहरापणांनें नेत्र कारोगांने सोजा नैत्र्मग्निमांद्यनें पासीनें योरोगांनेयो कृमिपीनसप्रगटकरे पर नांकमैर्बुदनांमगांरि ७ प्रकारका होयचे परसोजो ४ प्रकार कोनांक मैं रस ४ प्रकारको रक्तपित्तनांक मैं ४ प्रकारको होय सोयांकालक्षएापाछार्नेलिष्याचे सोबुद्धिवानजाणिलीज्यो ३४ अथपीनसका काचापएको लक्षणलि• जांकोसीरभारयो रहे भोजन में रुचि होय नांकफर वोकरे होलेबोले शरीरक्षीरा For Private and Personal Use Only
SR No.020035
Book TitleAmrutsagar Vaidyak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSawai Pratapsinh Maharaj
PublisherGyansagar Press
Publication Year1860
Total Pages590
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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