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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग कोककैर्बुद २८ चरक में कपाली के िवषै च्यारिरोगवधताकत्त्या छै उत्पात १उन्मथकर दुःखवर्द्धन ३ परलेहिन ४ अथकवलको लक्षएालि• जीकाकांनमें वायधसिजाय रोकोपर्कप्राप्तिहोय जदिकान में घणसूलचलावे इनकमूलकहिजे' अथकनाट कोलक्षएालि० जीकाकानकाछिदमैं वायधसिरहै नदिवेंपुरषकेला नमें भेरिको मृदंगको संषतेयादिलेरमनेकशब्दबोलेताने कर्णना दकहिजे २ अथबाधिर्य्यकोलक्षएालि० बालकपरबूदो पर घणादिनको बहरोजोहोयसोछ्यौ होयनहीं ३ प्रयश्चेडक रोगको लक्षणल• जीकाकांनर्मेवाय पित्तकफधसिजाय अर दें काकांनमैंवांसफाडिबाकासाशब्दहोय तीनें कट्वेडरोगकहि जै ४ अथकर्णश्रावकोल क्षणलि० जिंकाशिरमेचोटलागिहोय अथवाजी काकानमैजल पड्यौहोय वेंकाकानमांहिसंराधिबह वोकरै तानेंकर्णश्रावकोरोगकहिजै ५ मथकर्णकंडकोलक्षण लिष्यते जाकाकांनमें कफसंयुक्त वायपैठे पौ कानमैषाजिकरे तोंनें कर्णकंडूकहिजै ६ अथकर्णगूथकोलक्षणलि० जीकाका नमपित्तकी गरमीधसिजाय परकफर्नैसोसिले तांकाकांनमैंम लाघवे तीनेक गूथकहिजे ७ अथकप्रतिनादकोल क्षणलि० श्रीकर्णगूथपतलोहोजाय अरपाछैौ नां कर्मैयायमा तिहोय तीनें कर्णमतिनादकहिजै प्रथकृमिकर्णको लक्षण लिष्यते जीकाकांनमैं बुग पतंग जिनाचरकांनखिजूरानैत्र्यादिले कोईजिनावर सिजाय तोकाकांन में फडफडावैच्चर कैंपुर बनेंपीड करिघव्याकुलकरिदे पर वेंकीभूषउगैरे सर्वजाती रहेनीनेंकमि कर्णरोगकहिजे ९ अथकविधीकोलक्षएालि० यादोयप्रका
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