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४०९ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १८ लिष्यते आंवलानेपाणी वाटिकापीडीबांथै अथवा काय एकापानांकापीडीबांयेनौ नेत्रकागरमीकारुलाजाय.१७ अथवा त्रिफला लोद यानेकांजीकापाणीमैवाटि पाछेया पृतमैंतले यां कीपीडीबांधेतो गरमकाअरकफकारुलाजाया- अथनेत्र में रूलापरसोईषाजिहोयतीकोजतनलिहिनीबकापान ईमैंग्यूसीयोलूनांषि यांनमिहींपाटि ईकापीडीनेत्रकोबांथैनो नेत्रकारुलासोईषाजियेसर्वजाया९ अथनेत्रवाग्रहांजगी कोजतनलि नेत्रकायहांजपीनेवृतमूसेक पाईराहांजगी नैंशस्त्र फाडै उपरिमेगासिल हरतालतगर सांधोलूा येब राबारते यांनेसहन मिहींपारि ईकोलेपकरेतोगुहांजगीजा य२० अथनेत्ररोगवास्तैतरपणकाविधिलि जीजायगांप बनचालेनहींनहांसूघोसुवाणिजै पाउँनेत्रउपरीयोगडदाई उडकोचूनमिहींपीसी नेपाणी ओसणिवेकानेकैवाडिन कीजै अंगुलदोयरकी पाछैनेमैंनस्यूंगरमकरिसुहावती अथ वासौवारकोथोयो अथवाइयईमेराजिते १०० बारकागि एनीमिणनित राषेतीनेत्रकारोगवाकांपतों दोफणीजातीरही होयसो प्राषिप्राछितरेंउगडेनहींसोतिमीरफूलोमथवायरूला येसारारोगईनरपरातूंजायछै योतर्पणावादलामेंष्णकाल मैचिंतामैंभ्रममैंनहींकरजै२१ इतितर्पणविधिः अथने जांजनलिष्यते शंषकीनाभि बहेडाकामीजीहरडेकामांगीमे गसिल पीपलि मिरचि कूट पच बराबरिलै सानेबकरीका दूधसूमिहींवारि अंजनकरैतौ फूलो तिमिर नेत्रमै मांसकी वृद्धि नेत्रमैंकारआयोहोरजीने पटलरानिधान औरनेत्रांकारोगनें
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