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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २९१ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग १० कुलत्याउरदयांकापावासू अथोपायमलमून यांकारोकियाकरि रितुकाविपरीतपणांकरि क्लेशकाकरिवाकर घरगामेथुनकाकार वाकार आंसूकारोकियाकरि सूक्ष्मवस्तकादेषिवाकरिईनादिने रजोवस्ततीकाकरिवाकार यांवस्तांसू नेत्रांका ७६रोगपैदाहोयछे अथ प्रथमदृष्टिकारोगलिष्यते दृष्टिकहजेकहानीकोलक्ष ए नेत्रमंडल कविकालीजागांमैमसरकीदालप्रमाण येकमा राम्योछे सोश्रोमागस्यो पांचमहाभूतांसंउपज्योछे अरोधाग्या सरीसोचमकेछै अरोअविनाशीजोतेजतत्सुरुपोसिद्धछे अरओईनेत्रगोलामैचारिपटलकारदेछै परलकहिजैकांकांदाका म्योतसिरासीमिल्लीनांकरियासारीप्राषियाछादितहोयरही छै अरयादृष्टिनिपटसीनलरूपछै ईनैबुद्धिवानदृष्टिकहेडै सो यादृष्टिजलकेयरलोहाकेाधारछै ईदृष्टिके ४पटलछै प्रथमप रलतौतेजअरजलत्यांकोआश्रयछे दूसरोपटलमांसकेश्राश्रय डै तीसरोपटलमेटकेबाश्रयछै तामैनेजजलमांसमदअस्थि यांपांचकेाश्रयछ अथप्रथमपटलमैहजोरोगतीकोलक्षपालिष्यते प्रथमनेत्रकापरलकीदृष्टि मेंजोरोगरहेछ तांपुरषनेकदेकजथार्थसांगोपांगीसेनहीं पहलापटलमैंदोष थोडोरहेछे अथडूसरापटलमैहवाजोरोगताकोलक्षण लिष्यते जीकानेरकाडूसरापटलमैत्रायोजोदोष तीनॆमांषीमां छरकेस यांकासमूहकासमूहदीसेनहीं इरिकानिकरदिशै निक रिकाइरिदीसै हष्टिभ्रमनिरहे अरयगांजनरूभीसुईकोठेदी सैनहीं क्यूंरष्टिहैसोघणीविहलहोजायर अथतीसरापटल मैंहुवाजोदोषताकोलक्षरालि तानेचोदीसे अरनीकोश : For Private and Personal Use Only
SR No.020035
Book TitleAmrutsagar Vaidyak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSawai Pratapsinh Maharaj
PublisherGyansagar Press
Publication Year1860
Total Pages590
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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