________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
२९८ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग अतिभिन्नकामीलक्षणनहींमिले दोन्याकामियांजीमेंलक्षणहोय श्रोत्राविसमहोय सोवेंकाहारमैबराहोय -नेपिच्चिनबएकाह जे अथघुदाबकोलक्षालिष्यनेजीईटपथरभीताउँगै रैकहींतरेहं सरीरकीचामडीयसिजाय वाचामडीसरीरसुंड रीहोजाय बैंचामरामैं पनासरियोकरै अरमेंयहोय नै ष्टबकहिजे अथजांकेमांसनसांसंधिमर्मस्थानयामेलो लागीहोयतीकोसामान्यलक्षालिष्यतेजीकेभ्रमहोयप लापहोय दहपडे मोहहोय चेत्तजातोरहै ग्लानिहोय दाहहो य सिथलअंगहोय पाउयगाहोय मांसकाजलसिरीसोजीको लोहीहोय अरसर्वइंद्रियांकाधर्मजातारहै पाछैकत्याजोपांच मर्मस्थान त्यांमेजोवांकीचोटलागी यांकोयोलक्षणकहिजे अथमर्मस्थान नसां संथि हाड येवणबिंधिगयाहोयतींका जदाजुदालक्षणलिष्यते इंद्रकाधनुषसरीसो सांवराकिलो कडीसोजीकोलोहीनीसरैतीकैक्षतजबराकहिजे ओबरावा यकाअनेकरोगांनेंकरेछै अरनीर.अादिलेरशस्वछ परत रवारिनै आदिलेरजेशस्त्रछे त्यांकरिनसांवांधिजाय यांसूरप ज्याजोबत्यांकरिसरीरहेसोकूबडोहोय अरसरीरकाअंग गमैपीडाहोय चाल्योजायनहीं वहानमोडोपांमैअंकूराचे नदिजाणिजेईकीनसांवांधीगईतीकोईकैबराछे उबगकेसो जोधपोहोय वेंकोचलजातोरहे अरसंधिमैपावलाग्योहोयतो संधिकोहलियोचलिवोजानोरहेअर-मैपीरपणीहोय राति दिनमैंजकपडेनहीं तांकैहाडमैसस्त्रादिक उपज्योबराजाणि 'जै परमर्मस्थानमैचोटलागिवा बगहोयनांकासरीरकोपर्ण
For Private and Personal Use Only