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२९३ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १५ रैअरवासोईहाथ पीडीहनीमा अरवासोईसुईकारिकैरिधी हनीमा अरसोईमैंदाहपोहोय अरवेसोईकोरंगऔरसो होय अरवासोईचंगुलीकारपीरिजनहींमांनू आसनधिसेसो याकेविसै सांतिकुंप्राप्तिहोयवांछकाकाट्याकीसीनाईजीतिवा सोईगादीहोयतिननैवेंसोईकापकावाकोजतनकरेवेनफाडै नहीं अरवेंसोई मैंजुरहोय तिसहोय अरुचिहोय येलक्षरानी मैंहोय तदिजाणिजेवासोईपकिगई अथवएसोथपकिंग योहोयतीकोलक्षएलिष्यते वेंसोजामैपाडनहींहोय लला ईथोडाहोय घपोउंचोनहींहोय अरवेंसोजामैसलधाप डिजाय अरवेमैपीडहोय अरषुजालिघलीआवेसर्वपदव जानोरहै वासोईनयजाय त्वचाफाटिवालागिजाय मैंए ली पीयाराधिनीसरैयेलक्षराजीमैहोय नदिजारिजेत्र पासोथपकीगयोछे वेमेभावायविनापीडानहीं पित्तविनांप किवोनहीं कफपिनाराधिनहींईकारा पकिवाकेसमैये तीन्यूंहीहोय अथपरिपाकअवस्थामैऔरभीमतांतर कालक्षरालिष्यते वेंकाजतनकारवांमैटीलकरेतो पित्तहै सोकरिजाय कफकोहणकारलोहीनेपकायदे ओलोहाप स्योथकोराधि.करिदे अथवा राधिकाटेनहींनांकादोसलि ष्यतेजैसें तृणांकासमूह.पवनसंप्रेसोथको अग्निदग्धक रैछै तेसैंहावेकीराधिकाटेनहींतोवेंकासरीरकामांसरसा नैयाराधिषायजायछ। अथसोजाकाकाचांपत्याकाग्यो
नकैअर्थवैद्यकागुणदोसकहीजे जोकच्चाबाजारौं .. भरपचताबानेजा अरजोपयात्रनेजारोंसोतोय
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