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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २८३ १४ अमृतसागर तथा प्रतापसागर नरंग fitवैद्यहैसो अर्बुदरोग कहें डे सोच्योअर्बुदरोग दोय २ प्रकारको येकतौरक्तार्बुद १ मांसार्बुद २ अथरक्तार्बुदकोलक्षणलिप्यते आपकारणसंदुष्टहुवोजो पित्तसोरुधिरनैं अरनसांनसंकुचिनक रैपरवानैपीडाकरै वाकामांसकापिंडकर मांसकाअंकूरासंनीयां नैटकै वांनैवधावै पाछैवेनैक्यूंयेकपकाय परलोही संयुक्तवनैंघ एलोवहावैनिरंतर वेनेंरुधिरको पर्बुदकहीजे योग्यसाध्यछै ईर कानांसथकीसरीरमैंऔरउपद्रवपांडुरोगनैच्यादिलेरकरैछै १ अथमांसार्बुद की उत्पत्तिसंयुक्तलक्षणलिष्यते जीपुरसकेक होतं मूंगच्यादिलेरक्यांहों की वें कासरीरकैचोटलागैजींज गांकोमांसष्टहोय तदियोगांसदुष्टदुबोथकोऊंठे सोजानें करै सोपैंसोजामैंपीडनहीं पर वेंसोजाकोदेह का वर्णसिरीसोरंगहो य परसोजोपनहीं अरयोसोजोपथरीसिरीसोगादोहो यरोसोजोथिरर है येजीमै लक्षण होय तीनेमांसार्बुदकहि जे यो भान्साध्य २ अथमध्यर्बुदकोलक्षरालिप्यते जोय र्बुदमर्मस्थानमैं उपजे अथवा नसांमैंउपजे मोछोटीभीछे तानें अध्यर्बुदकहीजै१ प्रथत्र्यर्बुदरोगय कैनहींतीकोकारणलि ष्यते ईमैंकफकाअधिकपणंथकी अरमेदकाग्रधिकपणाथकी पकैनहींज्यूंयोत्र्मसाध्यछै । अथगलगंडनैत्र्यादिलेरयेरोगक ह्यात्यांकात्र्यनुक्रमसूंजननलिष्यते सरस्यूं सहजएकाबीज साकाबीज अलसी जब मूलीकाबीज येबराबरिले यांनेपाटी छाडिमेंमिहीनांटियांकोलेपकरैती गलगंडनैं गंडमालानें गांडि नैं यांरोगांनैततकालडूरकरै १ अथवा सरस्यूं जलकुंभीकीराष यांदोन्यांनैतेलवांटियां कोलेपकरैतोगलगंडरोगजाय २ अ For Private and Personal Use Only
SR No.020035
Book TitleAmrutsagar Vaidyak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSawai Pratapsinh Maharaj
PublisherGyansagar Press
Publication Year1860
Total Pages590
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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