SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 271
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org २६४ १३ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग अथउदररोगकी उत्पत्तिलक्षणजतनलिष्यते मंदाग्निवाला पुरसकैनि पैदा होयछे पणिउदरकी सर्वहारप्रकार तीं नेत्र्यादिलेर अरसर्वउदररोगमंदाग्निवालापुरसकैनिश्रेपैदा होय ? अथउदररोगकी और भीउत्पत्तिलिप्यते अजीर्ण तैंउदररोगहोय प्रत्यंतदोसनेंउपजावै इसिवस्तषाइतौउदर रोगहोय दोसांकोसंचय होय अथवा मलको अथवा यांवको संचयकोष्टमैहोय नदिपुरसकै उदररोगपैदाहोय । अथउद ररोगकी उत्पत्तिलिष्यते कुपथ्यसंसंचयकूंप्राप्तिहुबाजोवा यपित्तकफ सोजलनैं बहवावाली जोनसांत्यांनेरोकै हियाकाप वननैं रमनें अरगुदा कापवननैं भलोम कारषितकरै वाठप्रकारका उदररोगनैपैदाकरैछे । प्रथउदररोगकोसा मान्यलक्षणलिष्यने पेटमै आफरोहोय चालिचाकी सामर्थ जानीरहै सरीरडूवलोहोजाय मंदाग्निहोयजाय सरीरमैंसोजोहोय हाडांमें फूटणी होय मलमूत्रमाछ। तरैऊतरेनहीं सरी दाहोय लक्षण होयतदिजाणिजे ईकैउदरको रोगहै। अथउदररोगयठप्रकारको छै सोलिंचं वायको १ पित्त को २ कफको ३ सन्निपातको ४फीयाको ५. मलकाबंध होवाको ६. चोटकालागिवाको ७ जठोदरको - अथवातोदरकोलक्ष पालिष्यते जांपुरसकैपगांके हाथांकै नाभिकै सोजोहोय कृषि मैंपसवाडामैं काटमैं पीठिमैं यांमैपीडाहोय अरसंधिसंधिमैं पीडाहोय कोषासहोय सरारभास्यौ होय मलऊनरैनहीं स रीरकीत्वचा नव नेत्र येकालापडिजाय पेटमै पीडाचाले आफ रोहोय वोलोकरे पेलक्षणहोयतदिवायकांउदरकोवि Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only
SR No.020035
Book TitleAmrutsagar Vaidyak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSawai Pratapsinh Maharaj
PublisherGyansagar Press
Publication Year1860
Total Pages590
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy