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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २ मासय की जागा मैंर हतो जोच्प्रहारती सैंउपज्यो जोरसनांनविगाडि मरामासयमैंर हनोजोउदर कोच्यग्नित्ती उदर में से चारै फाटि सारारोगीकासरीर नैता तोयग्निरूपकरिदेउँसीन्प्रोज्वररूपहीय वेहींसमैसरीरका पराक्रमनेषायजाय छे सोज्वरपाठप्रकारको छै एकनोबायको ज्वर १ पित्तकोज्वर २ कफकोज्वर ३ वातपित्तको ज्वर ४ बातकफकोज्वर ५ कफपित्तकोज्वर ५ सन्निपातको ज्वर ७ आगंतुकज्वर - एत्र्मठप्रकारकाज्वरछे सोष्प्रचयांकाजुदाजु दालक्षणकहस्यूं अथमथमज्वरमात्र कोसा सान्यलक्षण लिप्यते जीकासरीरमें कसमचेइसोल क्षण होइजीनेंज्वरकहि जे सरीर तातो होयत्र्यावै परपसेवभानही यावे अरभूषजातीरहे सारोअंगजकड्योसोहोय परमथवाइहोय मरहाथपगांफूटल होई अरकठैहीमनलागैनहीं भैसालक्षणजी रोग में होयतीनेंज्वर कहिजे १ अथज्वरको पूर्वरूप लिष्यते हाथपगांफूटणीहोय मथवाय होय जांभाईहीय निगरिषेदहीसरीरमैषेदहोय पेसाल क्षराजींमनुष्यकेहोरा नबजाणिजेज्वरउपजसीप्रसोल क्षणवेद्य जागे २ अथज्वरको विशेषलक्षणलिष्यते प्रथवायज्वरल क्षणविष्पते सरीरकांपै ज्वरको विसमवेगहोय कंठहोउस्कै नीं दवैनहीं छीकावेनहीं सरीरलूषोहोय मथवाय होय सरीरमें पीडाहोय मुषमेछऊंरसको स्वादजातोरहै जंगलउतरैनहीं पेटमें सूलहोय प्राफरोहोय उबासीघलीपावेनी चायकोज्वरजाणिजे अथसामान्यज्वरमात्र कोजतनलिष्यते गरमपालीपाजे या छाल कालंघनकराजे मलकाबलमाफिक रहलकोपथ्यकरा जे पवननहींच्यासाघरमेराषिजै श्रायामिहीयस्यापरसुना
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