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२३० अमृतसागर तथापनापसागर तरंग ११ हीवाटिटंक जिलझूलेलो होगरिहोयर अथवा हिरणका सांगकोपुटपाककरे अरगउकातकैसाथिषायतोदृद्रोगनेंसू उमात्रदूरिकरै३ इतिहिरकासींगकोपुटपाक अथवाष रैरीगंगेरसिकालालि कहपारंपकीयकल महलोठी येोषदिव रावरिले यांनमिहींपांस्टिंकशायांकोरोजीनांकादोलेनी होगनें वानरक्तनेंरक्तपित्तनरिकरैडै ४ येसर्वभावप्रकासमैलिष्यो. छै अथवा कूड वायविडंग यानेमिहींवांटिटंक ॥गोमूत्रकेसा थिलेतो हियाकामिजायपडै हद्रोगरहोय५ अथवा गंगे रपिकीजड अरकहबाकीबकल पोहकरमूल यांनमिहींवांटिटं का दूधकैसाथि अथवासहतसाथिरोजीनालेतो हृद्रोगनेंसा सषासनें छर्दिनें हिचकीरिकरे अथवा हरडेकीछालि पर रारमा पीपलि सूठि कचूर पोहकरमूल यांकोचूालेनौहोगजा य७ इतिहरीतक्यादिचूर्णम् अथवादसमूलकाकादामैं परं उकोनेल अरसांभरोल्पनांषिपातीरोगजाय- अथवा पोहकरमूल सूहिकचूर हरडेकाडालिजवषारयेवरावरिले यां कोकाटोकरि ईमैंइतनांपिपीयेतो वायकोहदोगजाय९येसर्य वेयरहस्यमैछे अथवासेकाहींग पचवायपिडंग महिपापलि हरडैकीछालि चित्रक जयपार संचरलूपा पोहकरमूल येसर्परा बारले यांनैमिहींवांटिटकागरमजलकैसाथिलेती हृद्रोगजा या योजोगरत्नावलीमैछै अथवा पोहकरमूल. मिहींची टिंक शासहतकेसाधिलेतो हदोगनें सासनैं षासनेराजरोग मैं हिचकीने योडूरिकरेछे ११ अथवासेकाहींगसंह चित्रक कूर जवषारहरडेकीछालि वच वायविडंग संचरलूरा पारो पो
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