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२२१ अमृतसागर नथापनापसागर तरंग " यतिमासा जीरोरंक ५थएोटंक ५ कालीमिरचिटंक५करावी छालिटंक ५अजमोदटंक ५ कालोजीरोटंक५सेकाहींगटंकर जवषाररंक-साजारंक-पांचूलएरंक-निसोतरंकन्दायू लाटंकी करटक१०पोहकरमूलटंकी वायविडंगटंकी अनाररागांटंक१० हरडेकीछालिटंकी चित्रकका अमल वेदटंक १० मंस्टिंकी यांसारांनेमिहींपारिधिजोराकारसकापु र दे पाछैटंकीप्रमाणकागोलाकरे गोली पृतकैसाथि रो जीनांषायतो अथवाधकैसाथिलेतो पित्तकागोलारिक रै मयसाथिलेनोवायफागोलानैंरिकरे दसमूलकाकांदा केसाथिलेनो त्रिदोसकागोला.दूरिकरे अरहियाकारोगनैं सं ग्रहणीनैं सूलनै रुमिनै यवासीरनें यागोलारिकरैछे इतिका कायनराटिका अथवा लवाभास्करचूर्णपाछेलिष्योछै नीकालेगा गोलाकोरोगजाय१ अथवा निलांकोकाटोले तौगोलोजाय१अथवा भारंगी गुर घृत पीपलि निलमूहि मिरचि यांकोकाटोदेनोगोलाकोरोगजाया अथवा पापलि भाउंगा पीपलामूल देवदारु कणगचकीज निलांकोकाटोदेनो गोलाकोरोगजाय इतिकगादिकाथ अथवा मेलसिलह रितालरुपमा आंवला सार गंध तामेसुर पारो येवरावरि ले प्रथमपारागंधककीकृजलीकरे पाछेकजलीमयऔषदिमि लाय पाछपीपलिकाकादाकारसमैंषरल करोदिनापाछेथोह रिकाहूयमैदिन १षरलकरै पाछैटेक सहलमेंले अथवागो मूत्रसंलेनो गोलो अरसूलकोरोगजाया इनिधियाधररसः अथवा पारो सोधीगंधक मेयोसुहागो त्रिफला सूहि काला
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