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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १८३ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग अरसास बास प्रलाप अतिनिद्रा अरुचि येसाराजाय इतिद्धचिं तामणिरसः अथप्रमृतनामगुटिकालिष्यते चित्रकरका ३। हरडेकीछालिटका ३। पारोटका १ ठिटका १| मिरचिटका १ पीपलिटका १| पीपलामूलटका | नागरमोथोटका १| जायफल टका? बधायरोटका १॥ इलायचीटंक ५कूटटंक ५ सोधीगंध कटंक ५ हिंगलूटंक ५ आकलकरोटक ५ मालकांगणीटंक ५ तजटंक ५अभ्रकटंक ५ सोध्योसींगी मुहरोटक ५ गुटका प्रथमपारागंधककीकजलीकरि पाछैयेऔषदिमिवांटिक जलीमै गुडसमेत मिलावे पाछैईकैजलभांगराकारसकीपुर १ दे पाछैरनी २ तथा ३ भरका गोली बांधै गोली १ रोजीनांषायतौ सर्व प्रकारकीवायनै कोटनैं प्रमेहनै मृगीनैं क्षयाने सासनें सोजा नै आमवातनें पांडुरोगनैं बवासीर यांसारांरोगांनैयोरसडू रिकरे इतिअमृतनामगुटिका • योजोगतरंगिणीमै छै •मथरसराक्षसरसलिष्यते सोध्योपारो सोधीगंधक येदो न्यूंबरावरिले यांदोग्यांकी कजलीकरै पाछैईकै धाकारसकी पुट दे पाछैतुलसीकारसकीपुर १ दे पाछैवावची कारसकीपु ८१दे पाछेमोरसिषाकारसकीपुट १ दे पाछैमहलोटी कारस काउंट १दे पाछैवाराही कंद कारसकीपुर १ दे पाछै बहुफली कारसकीपुट १दे पाछैयांकारससुकाय पारागंधककी कजली नैक्कूकडाकाच्अंडामै भरै अंडानेधोयसोधिले पाछैवेयंडाकैक पडभिट्टी ७दे मंडानैसुकायले पावेगंडानेगजपुटमेंपकावैं इसीतरे वार ३ करें पाछैईनेरती १ षायतौसर्वप्रकारकी वायजा य परयोभूषणीकरें इतिरसराक्षसरसः योरसार्थव For Private and Personal Use Only
SR No.020035
Book TitleAmrutsagar Vaidyak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSawai Pratapsinh Maharaj
PublisherGyansagar Press
Publication Year1860
Total Pages590
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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