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अमृतसागर तथा प्रताप सागर तरंग गांकोसोजोइरिहोय अरगृध्रसीरोगनें सिरकारोगनैं फूटलीनें कर्णकी सूलने गंडमालाने यांसर्वरोगांनैयोविसगर्भतैलरिक रैछै इतिविसगर्भतैलम् अथवा मजीठ देवदारू चीट क स्याली वच तज पत्रज सोधीगंधक कचूर हरडैकी छालि बहेडा कीछालि आंवला नागरमोथो येषदि टकायेकेकभरिले त्यां नैवांटि टायरसकाढिले पांछेरसमैंसेर ९१ तेलनांषै पाछे ईतेलनैपकावे पाछैओरसवलिजाय तेलमात्र प्रायरहै नदिई मैयेोषदिनांपै सोलियूंडूं छड मूर्वा मेंटल चंपाकीजड तज पीपलामूल नेत्रवालो संचरला येऔषटिकादोय भरले अरलोहवान वेरजो असगंध नव छड येटकाटकाभरले अ रइलायची लवंग चंदन जायकीकलि कंकोल अगर केसरी येसारी पईसापईसाभरिले कस्तूरीटंक २॥ ले येसारी मिहींवांटि तेलमैंमधुरीयांचसंपकावे तदिसर्वरसऔषदिसमेतवलिजा य तेलमा आयरहै नदिईमैटंक २॥ कपूर वांटिनांषै पाछेई को मर्दनकरैत सर्ववायकारोगजाय सर्वप्रकारको मेहजाय रसोजानें गोलानैं जुरनैं यांरोगांनेयोनेलइरिकरैछे इतिल क्ष्मीविलास महासुगंधितैलम् योचकदत्तमैलिष्योठे अथवा टिका ७ भर अरईवरावरि इकपोत्योलस भर सूंडिनमिहांवांटि चरावरिकाघृतमें भूमिले पाछैलसणनैवांटि वेंमिलाय पाछे मैचोषी सहनटका ७ भरनांचे पायांसारां कोकजीवकरि टकाये केकभर रोजीनांषायतो पक्षाघाननें हनुस्तंभनें कटिभंगने भुजाकीपीडने सर्ववायकारोगांनैयोउ साइरिकरैछे । प्रथविजैभैर तेलकीविधिलिष्यते
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