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१७३ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग र अरसांधोलूणमिलायपावतीपक्षाघातहरहोय अथवापी पलामूल चित्रक पापलि इंहि रास्मा सीधोला उडद इनकोका टोकार ईकादाकारसमेंनेलपकावे रसवलिजाय नेलमात्रा यरहै तबस्कोमर्दनकरेतीपक्षाघातजाय इतिग्रंथिका दिलाउडर कोंडकेबीज अतीस अरंडकीजड रास्मा सौंफ सांथोलूग इनहूमिहीपसियांकोकाटोकरि ईकारामैनेलपका वै नदिरसवलिजाय तेलायरहैतीकोमर्दनकरेतीपक्षायान जाय ३ इनिमाषादितलम् येसर्वजननभावप्रकासमें लियाछै अथवा कौंधकाबीज परीकीजड अरंडकीजड
डर सूटि सांधोलूप इनकोकारौकरिछापिपावेनौपक्षाधा सजाय यहवैद्यविनोदमेछै अथवा महुवाकोरस गूग उरंक ५ वाजाबोलटंक५बकराकीमांगटिंक ५कटेलीको रसरंक ५ पलासपापडोटंक ५यांवीहलीटंक५सुहागोटंक ५विजोराकीजरंक५ इनकोमिहींपीसितेसरीरकैलेपकरे पीछेकमरवरावरिषाडोषोद अरपाडाकूअग्निवालिलालक रैपरवाषाडाकैअासपासनांचैाककापांनमेले पीछेवाप क्षाधानकेलेपवारयादमीकूवाषाडामैंटावै वाकैपसीनोग्रा वैजहांताईनोपक्षाधानकोरोगउहीदिनजातोरहै। अथनि द्रानासरोगकोजतनलिष्यतेसेकीभांगीकोचूर्णमिहीपी सिराधिकअनुमानमाफिकसहत चाटेतो नीरनिश्चैावै अरया अतीसारसंग्रहणीभीजाय अरभूषधीलागेअथ वा पीपलामूलकोचूर्णगुडकेसाथिलेतोनष्टभयाभानीरावे १अथवा काकल हारकीजड सिरकैबांधेतौनीदा। प्र
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