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९७ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ५ बांगजुररहे नदिजाणिजेईकेराजरोगछ अथवाभोजनमात्रमें रूचिनहोय जुरहोय सासषासहोय मूंटामैलोहीआवेअरस्वरभंग होययेछै ६ लक्षणहोयतोजाणिजेयोराजरोगछ २ अथवायकाराज रोराकोलक्षएलिष्यतेवरभेदहोय मूलहोय कांथाअरपसवाडा कोसंकोचहोयतोवायकोजाणिजे अथपित्तकाराजरोगकोलक्ष एलिष्यतेजुरहोयदाहहोय अतीसारहोय लोहा दामैावै तोरा जरोगपित्तकोजाणिजे अथकपकारोगकोलक्षालिष्यतेमांथो भास्योरहै भोजनमैरुचिनहींरहै पासाहोय कंठसूबोल्योजायनहींनो राजरोगकफकोजाएिजे ३येग्यारा सर्वलक्षामिल्याहोयतोरा जरोगसन्निपातकोजागि ४ अथहियामैचोटलाशिवासूउप ज्योजीराजरोगतीकोराजलक्षालिष्यते सिरमैपीडाहोय मूंटा मेलोहीकोयमनहोयसरीरलूषोपडिजाय भोराजरोगी असाध्य जाणिजे अथवासुपेसपेदजींकैषिहोय अन्नकापावामैत्र रुपिहोय अरसासकोरोगजांवधिजायरजांप्रमेहकोरोगपलो होयजाय अरघगोमूनोराजरोगीमरिजाय२ अथईराजरोगकी अवधिलिष्यनेमलोसास्त्रकोवेनासर्वजतनउगेरौक्रयामैलसल इसोयनोजतनकोक मिले अरोरोगीतागहोय अरव्यवा महोय वैद्यकहेसोकरै अरजितेंडीहोयसोमादिनहजार..ला ईजी उपरांतिनहींजीये अथकुंकसाध्यराजरोगकोउक्षणालि ष्यतेजाजुरनहींहोय अरयोबलवानहोय अरवैद्यऔषदि कड वीकसायलादेजीनेषायजाय अरभूषजांकानाब्रहोय अरसरीरपु ष्टहोंय राजरोगीकोजननकरजे अथपणामथनकरपासूर पज्योजोसरोगनीकोलक्षालिष्यने लिंगेंशमेपोनामैपीडहोय
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