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बादीपनका इलाज तक न लिख सका था। पर विशेष बातें लिखनेके पूर्व मैं उस समयकी चर्चा कर देना चाहता हूं जिस समय मैं आपसे मिला था जिसमें आपको मेरा स्मरण आ जाय ।
मैं सन् १८६० में फरवरी मासमें आपके घरपर आपसे मिला था। उस समय मेरी दाढ़ी खूब भरी हुई थी, इसलिये स्वाभाविक रूपसे मैं आजकलकी अपेक्षा कुछ भिन्न दिखलाई पड़ता था।
मुझे आपकी सेवामें अपने चित्र भेजते हुए बड़ी प्रसन्नता होती है। यह असली चित्र है। फोटोग्राफरने इनमें कुछ भी परिवर्तन नहीं किया है। पहला चित्र सन् १८८ के सितम्बर महीने के अन्तमें लिया गया था। उस समय एक डाक्टरके अस्पतालसे मैं बिलकुल चंगे होनेका सर्टिफिकेट लेकर निकला था। उस अस्पताल में चार महीनेतक मेरी जो चिकित्सा हुई उसका वर्णन नहीं किया जा सकता। पर सिवाय पागल आदमीके कौन ऐसा होगा जो इस चित्रको देखकर मुझे पङ्गा बतलायेगा। मेरे चित्रको देखकर मुझे अगर कोई चङ्गा बतलाये तो हँसी आये बिना नहीं रह सकती। हाँ, मेरी दुःख भरी दशा देखकर शायद लोगोंकी हँसी रुक जाय तो रुक जाय । दूसरी तस्वीर आपकी चिकित्साके अनुसार ठीक साढ़े तीन वर्षोंतक इलाज और भोजन करने के बाद ली गयी है। अगर किसीने आपकी चिकित्साके अनुसार बहुत कड़े नियमके साथ इलाज और भोजन किया है तो मैंने किया है। इस 'चिकित्सासे जो परिणाम निकला उससे मुझे बड़ा सन्तोष है।
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