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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भाकृति निदान लगातार वर्षोंसे नींद न आनेकी बोमारी है। यद्यपि उसके मस्तिष्कमें लकवासा लग गया है तथापि उसे कहीं चैन नहीं मिलती, क्योंकि बहुत अधिक आन्तरिक ज्वर होने के साथही साथ विजातीय द्रव्यका दबाव भी ऊसरकी तरफ बहुत अधिक मालूप पड़ता है। उसके बायीं ओर भी बादीपन होने पसीना कम निकलता है, जिससे विजातीय द्रव्यका दबाव ऊपर की ओर बढ़ रहा है। यद्यपि अमी उसकी अवस्था बहुत अधिक नहीं है तथापि वह कोई काम ठीक ढंगपर नहीं कर सकता। वह बहुत दिनों से नपुंसक भी हो रहा है। __ ऐसा आदमी हर तहकी बीमारीका शिकार हो सकता हैं। यदि उसकी चिकित्सा तत्काल न की जायगी तो उसका मस्तिष्क अवश्य बिल्कुल खराब हो जायगा। इस रोगी में शक्तिकी मात्रा बिलकुल कम है इसलिये उसका पूरी तरहसे चंगा होना असम्भव सा है। अगर रोगीको हालत में थोड़ा भी सुधार हो जाय तो समझ लेना चाहिये कि बड़ी भारी सफलता ___ तस्वीर नं. ४१ में करीब ३० बरसके आदमीका रूप है। उसका सिर आगेकी ओर उमड़ा हुआ और छाती भीतरकी ओर धसी हुई है। उसका रंग पीला है और वह देखने में निर्जीव तथा सुस्त मालूम पड़ता है। उसका चेहरा दुबला और उतरा हुमा तथा उसके गालकी हड्डियाँ उभरी हुई हैं। For Private And Personal Use Only
SR No.020024
Book TitleAakruti Nidan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLune Kune, Janardan Bhatt, Ramdas Gaud
PublisherHindi Pustak Agency
Publication Year1949
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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