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आकृति निदान क्या है
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लीजिये । निःसन्देह उस मनुष्यकी बुद्धि उन लोगोंसे अच्छी है । जो तस्वीर नं २०,२१ में दिखाये गये हैं। हां, शायद उसकी साधारण शिक्षा इतनी न हो, जितनी कि इन दोनों श्रादमियोंकी है । दग्द्रोंकी अपेक्षा धनवानों में पीछे की ओर बादीपन साधारण दिखलाई पड़ता है। कारण खान पान में धनी प्राकृतिक नियमोंका अधिकतर उल्लंघन करते हैं ।
जिस मनुष्य में पीछे की ओर बादीपन हो उसे तत्काल अपने इलाजकी फिक्र करनी चाहिये क्योंकि ज्यों-ज्यों उसकी उम्र बढ़ती जायगी त्यों-त्यों इस रोग से पिण्ड छुड़ाना उसके लिये कठिन होता जायगा । इस प्रकार के बादीपनका सबसे बुरा परिणाम यह होता है कि जो लोग इस बादीपनके शिकार होते हैं उनमें से इस बीमारी को दूर करने के लिये आवश्यक पौरुष और उत्साह धीरे-धीरे लोप हो जाता है। जबतक विजातीय द्रव्य नरम रहता है और उसमें हरकत होती रहती है तबतक उसका दूर करना कहुत कुछ सहज
है । पर जब एक बार विजातीय द्रव्य कड़ा होकर स्थिर हो बाता है तो उसके दूर करनेके लिये बड़े धीरज और माथापच्ची की जरूरत होती है। तब चाहे जितनी फिक्र करे चङ्गा होना प्रायः असम्भव हो जाता है ।
(घ) मिश्रित बादीपन
( नं. ८, १८, १६ और २६ से लेकर ३४ तक )
पहले कहा जा चुका है कि केवल एक दो प्रकारका बादीपन बहुत कम दिखलाई पड़ता है । प्रायः दो या कुल किस्म के
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